सुशासन मे नियमों की उड़ रही धज्जियाँ:स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा

रूद्र नारायण यादव/26 मार्च 2011
सुशासन में सरकार के विकास के दावों का जो भी हो लेकिन यह बात अब खुलती नजर आ रही है कि विकास के क्रम में नियमों को सरकार ताक पर रखवा रही है.काम की जल्दीबाजी के लिए ऊपर के अधिकारी डालते हैं नीचे वाले पर दवाब और नीचे के पदाधिकारी की औकात नही है कि वे कह सकें कि हमें नियम से काम करने दीजिए.
   मधेपुरा टाइम्स के स्टिंग ऑपरेशन में मधेपुरा भवन प्रमंडल विभाग के कार्यपालक अभियंता नारायण चौधरी ने सुशासन में उच्चाधिकरिर्यों की कार्यशैली को खोल कर रख दिया.कहते हैं हमें तुरंत में कराने होते हैं कई काम और बिना एस्टीमेट और टेंडर के होता है अब काम. यानि जिसको मन होता है दे दिया जाता है काम

और बाद में टेंडर निकाल कर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है.इससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि किसी भी ठेकेदार से पहले काम ही करवा लिया जाता है और फिर उसे बाद में बने एस्टीमेट पर भुगतान भी कर दिया जाता है जिससे बाक़ी ठेकेदार मुंह ताकते रह जाते हैं. इस दौरान कार्यपालक अभियंता से यह भी पता चला कि ऊपर के दवाब में ही ज्यादा नियम टूटते है. जैसे, मुख्यमंत्री का आगमन हो या हो उच्चाधिकारी का आदेश. उन्होंने यह भी बताया कि इस बात की जानकारी विभाग में सबों को होती है,पर जो भी हो ये इनकी बाध्यता है कि नियमों को ताक पर रख कर काम करते रहें.नियम की बात पर ये बताते हैं कि पहले एस्टीमेट बनना चाहिए फिर सचिवालय से पास हो और तब काम होना चाहिए.
        सबसे बड़ा सवाल-यदि काम को जल्दी करना बाध्यता है तो सरकार क्यों नही अपने सारे विभाग को दुरुस्त कर लेती है जिससे एस्टीमेट को  सरकार से फ़ौरन स्वीकृति मिल जाय और एक निर्धारित समय में काम भी पूरा हो जाय ताकि नियमों की अवहेलना न हो.क्या ऐसे में लोगों के मन में यह बात नही उठ सकती है कि यदि नियमों की अवहेलना हो रही है तो सरकार से सटे लोग मालामाल हो रहे होंगे?
सुनिए इस वीडियो को क्या कह रहे है कार्यपालक अभियंता कैसे होता है काम?
सुशासन मे नियमों की उड़ रही धज्जियाँ:स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा सुशासन मे नियमों  की उड़ रही धज्जियाँ:स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 26, 2011 Rating: 5

5 comments:

  1. अंधेर नगरी चौपट राज. मधेपुरा के कार्यपालक अभियंता महोदय की खुली स्वीकृति की बिना कोई नियम और कानून के हमें काम करना पड़ता है. और सुनिए मुख्य मंत्री के आगमन पर जो कानून चलता है उसे नेपाली में कहते हैं " मुख क कानून" जिसका अर्थ है नेपाल नरेश के मुख से निकला शब्द ही कानून है. सुशासन के बिहार सहित कई राज्यों में यही हाल है.

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  2. Auto zone ke Raju ka kahna hai nikhil mandal se - kya bhai nikhil bihar ko kaun badnam kar raha hai, iss engeener ke khulase ko dekh kar tumhara kya khyal hai.

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  3. Moni babu aur raju ji..aap dono ko mein bus itna hi kehna chahta hu ki sau mein nabbe beiman phir bhi apna desh mahan..kisi ke kuch keh dene se woh sach nahi hota aur jahan tak video ki baat hai to use to mein bhi aapke photo daal ke bana sakta hu..aur jahan tak media ki baat hai mein pichle 5 saal mein madhepura ke media ko achi tarah se janta hu..

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  4. निखिल मंडल की टिप्पणियों को पढ़ कर ऐसा लगता है की इनके दावे के विपरीत ये मीडिया के बारे में अधिक नहीं जानते. इन्हें मैं आमंत्रित करता हूँ की यह इस विडियो को झुठला दें या कम से कम उसी अभियंता से मान हानि का दावा करवाएं. अन्यथा यह ऐसा ही विडियो बना कर दें..निष्कर्ष में नब्बे प्रतिशत नेता बेईमान. शीशे में रहने वाले दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते.

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  5. Jise bura lage use lage lekin jo sach hai woh mein keh raha hu,haan yeh comment Rudra ji meine aapke liye nahi kiya lekin ab aap mera muh khulwana kyon chahte hai ki kis media wale ne kis khabar ko chapne ke liye kya kya manga aur purti nahi hone pe use galat dhang se chapa.

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