कहा जाता है कि सन् 1920 ई में चौसा प्रखंड के पैना में नवरात्र के मौके पर अस्त्र कला दिखाने की प्रतियोगिता हुई थी. इसमें कोसी क्षेत्र के दर्जनों पहलवान के अलावे पुरैनी के दो सगे भाई छोटका नूनू व बड़का नूनू ने भी शिरकत की थी. प्रतियोगिता में छोटका नूनू ने दूरदराज से आये सारे पहलवानों को पछाड़कर मिशाल कायम किया था. जीत की खुशी में दोनों भाई ने दूसरे धार्मिक स्थल से मिट्टी लाकर पुरैनी बाजार स्थित जमीन में दुर्गा मंदिर की स्थापना की, जो अब देवी शक्ति के नाम से विख्यात है.
छाग बलि देने की है प्रथा: रॉय ब्रदर्स दुर्गा मंदिर में छाग की बलि देने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. बलि देने वाले घर्षि सहनी व अन्य का कहना है की बलि प्रदान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या नवरात्र में इतनी बढ़ जाती है की उन्हे कतारबद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है.
इस बाबत राय ब्रदर्स परिवार के सदस्य पुष्प रंजन राय ने बताया कि मंदिर परिसर में कलश स्थापना के साथ भक्तिमय माहौल के बीच नवरात्रा का आयोजन होता है. इसी बीच मंदिर के सामने मिठाई की दुकानें और श्रृंगार प्रसाधन की दुकानें सजने लगती हैं. आयोजन समिति राय ब्रदर्स द्वारा इस बार भी मेला की पूर्ण तैयारी सहित सारा इंतजाम कर लिया गया है. पुरैनी में अष्टमी और नवमी के दिन मेला लगता है और प्रखंड क्षेत्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं.

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