श्रद्धालुओं की आंखें जहां एक ओर इन दिव्य प्रसंगों को सुनकर नम हुईं वहीं उनके चेहरे पर भक्ति और आनंद की अद्भुत झलक देखने को मिली। प्रवचन के दौरान कथा वाचक ने गोकुल और वृंदावन की धरती पर श्रीकृष्ण द्वारा की गई बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि कैसे नन्हे श्रीकृष्ण ने पूतना वध, शकटासुर मर्दन, तृणावर्त वध और यशोदा माता द्वारा उन्हें उखल से बांधने की लीला रचकर सम्पूर्ण ब्रह्मांड को यह संदेश दिया कि भगवान अपने भक्तों के प्रति सदैव करुणामय और रक्षक होते हैं।
विशेष रूप से ‘दामोदर लीला’ का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जब मां यशोदा ने श्रीकृष्ण को ऊखल से बांधने का प्रयास किया, तो कई बार रस्सी छोटी पड़ गई, लेकिन जब यशोदा माता का हृदय प्रेम से पूर्ण हुआ, तब भगवान स्वयं बंधने को तैयार हो गए। यह प्रसंग सुनकर उपस्थित जनमानस भावविभोर हो उठा। कथा वाचक ने यह भी बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि उनके पीछे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्य छिपे हैं जो जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
प्रवचन के अंत में भजन संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें यशोमती मैया से बोले नंदलाला जैसे भजनों ने श्रद्धालुओं को भक्ति सागर में डुबो दिया। सैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने भजन गायन में सहभागिता की और ‘जय कन्हैया लाल की’ के जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा।

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