11 अगस्त की सुबह करीब 11 बजे, आपूर्ति पदाधिकारी जांच के लिए वार्ड संख्या 05 पहुंचे। वहां भीड़ जुट गई और चार लाभार्थियों — श्रीमती राशमन देवी, विमला देवी, मंजू देवी और सनी देवी — ने लिखित व मौखिक बयान देकर अगस्त माह का राशन न मिलने की पुष्टि की। जांच के दौरान कार्ड और ई-पॉश रिकॉर्ड से भी गड़बड़ी उजागर हुई।
लाभार्थियों के बयान दर्ज होते ही मौके पर डीलर चंद्रकिशोर यादव, उसके तीन पुत्र — मंटू यादव, अरविंद यादव, मिठ्ठू यादव — और करीब 10–12 समर्थक पहुंच गए। पदाधिकारी के अनुसार, इन लोगों ने जांच में बाधा डालते हुए लाभार्थियों को डराया-धमकाया, जातिवादी टिप्पणियां कीं, गाली-गलौज और धक्का-मुक्की की। आरोप है कि मारपीट में पदाधिकारी के कंधे में चोट आई, जिससे असहनीय दर्द हो रहा है।
स्थिति बिगड़ने पर पदाधिकारी ने अनुमंडल पदाधिकारी को फोन से सूचना दी, जिन्होंने थाने में लिखित शिकायत देने का निर्देश दिया। बाद में मुरलीगंज थाने में आवेदन देकर डीलर और उसके समर्थकों पर राशन गबन, सरकारी कार्य में बाधा, धमकी और मारपीट का मामला दर्ज करने के लिए आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है।
घटना के साक्ष्य के रूप में लाभार्थियों के हस्ताक्षरित बयान, वीडियो फुटेज और मेडिकल रिपोर्ट पुलिस को सौंपे जाने की बात प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी प्रभाष कुमार ने बताई. यह घटना न केवल सरकारी जांच में खुलेआम बाधा डालने का मामला है, बल्कि यह भी साबित करती है कि राशन घोटाले में लिप्त लोग सच सामने आने से रोकने के लिए किस हद तक जा सकते हैं। अब निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं।
वही मामले में जन वितरण प्रणाली दुकानदार चंद्र किशोर यादव ने कहा कि मेरे ऊपर लगाए गए आप निराधार है वह उन कमरों को खोलने के लिए कह रहे थे जिसमें कुछ सामान था ही नहीं वहां पर एकत्रित जनता की भीड़ में उनके साथ क्या किया हम कुछ नहीं कर सकते.

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