सदर थाने से पहुंची लगभग एक दर्जन पुलिस छात्र नेताओं को समझने का प्रयास किया लेकिन छात्र नेता यूएमआईएस पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे. परीक्षा नियंत्रक डॉ. शंकर कुमार मिश्रा और उप कुलसचिव (अकादमिक) डॉ. दीपक गुप्ता काफी समझाने का प्रयास किया लेकिन अभाविप कार्यकर्ता नहीं माने. दोपहर 12 बजे से यूएमआईएस कार्यालय में ताला लगाकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर किया. अभाविप कार्यकर्ताओं का कहना है कि विश्वविद्यालय के यूएमआईएस कार्यालय द्वारा बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की जा रही है. नामांकन की तिथि समाप्त होने के बाद भी कुछ अधिकारी अपने चहेते छात्रों का नामांकन करवा रहे हैं. छात्र नेताओं ने तिथि समाप्त होने के बाद लिए गए नामांकन की सूची दिखाते हुए कहा कि जब 7 जनवरी को नामांकन की तिथि समाप्त हो गई तो उसके बाद कैसे छात्रों का नामांकन लिया गया.
वहीं छात्र नेताओं ने कहा कि पीजी के नामांकन में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है. फॉर्म सही भरने के बाद भी पिता के नाम में गलती कर दिया जाता है. सुधार के नाम पर पांच सौ रुपए का चालान कटाना पड़ता है. इसके बाद भी सुधार में महीनों लग जाता है. यूएमआईएस कार्यालय के आसपास दलालों का जमावड़ा लगा रहता है. जो छात्रों से पैसे लेकर काम करवाते हैं. विश्वविद्यालय की गलती के कारण हजारों छात्रों को परेशानी झेलनी पड़ती है. इन समस्याओं को लेकर छात्र जब विश्वविद्यालय के अधिकारी के पास जाते हैं तो उन्हें फटकार कर भगा दिया जाता है.
विरोध प्रदर्शन में एबीवीपी के विभाग संयोजक सौरव यादव, प्रदेश सह मंत्री समीक्षा यदुवंशी, नीतीश सिंह यादव, नवनीत कुमार, अंकित आनंद समेत काफी संख्या में अभाविप कार्यकर्ता मौजूद थे.

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