पीड़ित परिवारों के लिए अपने भोजन की कोई समस्या नहीं है. पीड़ित परिवारों के लिए एक ओर जहां जिला प्रशासन द्वारा सूखा राशन वितरण किया जा रहा है. वहीं बाढ़ से विस्थापित हुए परिवारों के लिए सामुदायिक किचन के माध्यम से दिन व रात का भोजन दिया जा रहा है. अब ऐसे लोगों के सामने पशुचारे की गंभीर समस्या है. तटबंध के भीतर बसे लोगों के लिए आजीविका का एक मुख्य साधन पशुपालन भी है. लिहाजा बड़ी संख्या में लोग पशुपालन करते हैं.
शनिवार की आधी रात जब तटबंध के भीतर कोसी की बौराई हुई पानी इलाके में प्रवेश किया तो ऐसे पशुपालकों को अपने पशुओं की चिंता सताने लगी. नदी का पानी इतना फैल चुका था कि पशुपालक पशु को लेकर ऊंचे स्थान की ओर ले जाने से डर रहे थे. हालांकि इन पशुपालकों के लिए जिला प्रशासन ने पशुचारे की भी व्यवस्स्था कर दी है. लेकिन जिला प्रशासन द्वारा दिये जा रहे पशुचारा नाकाफी साबित हो रहा है. मवेशी पालकों ने बताया कि उन लोगों के पास कम से कम आधा दर्जन मवेशी है. जिन्हें उपलब्ध कराये गये चारे पर्याप्त नहीं है.
जिला प्रशासन ने ली है राहत की सांस
कोसी नदी के जलस्तर में जिस प्रकार से वृद्धि हो रही थी. उसी प्रकार जिला प्रशासन के हाथ पांव फूल रहे थे. डीएम कौशल कुमार सुबह से लेकर रात तक तटबंध, पीड़ित परिवार, अभियंताओं की ड्यूटी, फ्ल्ड फाइटिंग कार्य सहित बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यो की मॉनटिरिंग करते रहे. कोसी बराज व बराह क्षेत्र के डिस्चार्ज पर पल-पल की अपडेट होते रहते थे. उसी हिसाब से संभावित बाढ़ से निपटने के लिए दिशा-निर्देश व आवश्यक कार्य संपादित करते दिखे.
लेकिन जैसे ही नेपाल व भारतीय प्रभाग में बारिश थमने के बाद जलस्तर में कमी दर्ज की जाने लगी. उसी तरह जिला प्रशासन भी राहत की सांस लेने लगे. शनिवार की मध्य रात्रि से नदी के डिस्चार्ज में काफी कमी आने लगी. लिहाजा नदी के स्वभाव के अनुसार नदी की धारा तेज होने लगी. जिस कारण कई स्पर व गाइड बांध पर नदी आक्रमक होने लगी. जिसे नियंत्रण करने में जल संसाधन विभाग के अभियंताओं की टीम जुटी रही. बहरहाल नदी के नेचर के अनुसार खतरा कम हुआ है. लेकिन खतरा टला नहीं है. नदी का जलस्तर जिस प्रकार से कम हो रहा है, उसी प्रकार कोसी बराज पर नदी का दबाव कम हो रहा है. नदी के दबाव कम होने के बाद बराज पर वाहनों का आवागमन भी शुरू कर दिया गया है. लेकिन पानी के बहाव को लेकर अब भी सभी 56 फाटकों को खोलकर रखा गया है. यह पानी तटबंध के भीतर तीन से चार घंटे में जब फैलेगी तो निश्चित रूप से पीड़ित परिवारों की मुश्किलें बढ़ेगी.
अभी रात 10 बजे कोसी बराज पर
नदी का डिस्चार्ज 03 लाख 14 हजार 580 क्यूसेक घटते क्रम में दर्ज किया गया. वहीं जल अधिग्रहण क्षेत्र बराह में भी नदी के जलस्तर में कमी दर्ज की जा रही है. जहां नदी का डिस्चार्ज 01 लाख 78 हजार 5800 क्यूसेक रिकॉर्ड किया गया.
प्रशासन के सूचना को अनदेखी करने वालों की बढ़ी रही मुश्किलें
संभावित बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन द्वारा शुक्रवार को ही हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था. तटबंध के भीतर व गाइड बांध के समीप बसे लोगों से ऊंचे स्थान पर पहुंचने के लिए माईकिंग करायी गयी. वहीं जनप्रतिनिधि के माध्यम से भी ऐसे परिवारों को बाहर आ जाने का अपील किया गया. लेकिन घरबार छोड़कर जो लोग बाहर नहीं निकले उन लोगों की शनिवार से ही मुश्किलें बढ़ी रही. ऐसे लोग जो तटबंध के भीतर से बाहर नहीं आ सके. उसके लिए जिला प्रशासन द्वारा एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम भेजा गया. इसके बाद लाचार, बीमार, बच्चे, बुजुर्ग सहित नवजात व प्रसूता को नाव के सहारे सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया. ऐसे लोगों के लिए एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीम अब भी तटबंध के भीतर कैंप कर रही है.
(वि. सं.)

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