भारतीय न्याय संहिता: मुरलीगंज थाने में जनप्रतिनिधि एवं स्थानीय बुद्धिजीवियों के साथ बैठक

भारतीय न्याय संहिता: पुलिस पदाधिकारी ने मुरलीगंज थाने में जनप्रतिनिधि एवं स्थानीय बुद्धिजीवियों के साथ की बैठक

नए प्राविधानों में पुलिस को 90 दिन के भीतर जांच की प्रगति के बारे में पीड़ित को सूचित करना अनिवार्य है तथा पीड़ित की मेडिकल जांच उसकी सहमति से और अपराध की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर कराए जाने का अधिकार प्राप्त करने का प्रावधान है.

नए कानून के प्रति आम जनमानस को जागरूक करने के लिए सोमवार को मुरलीगंज थाने में आयोजित गोष्ठी में पुलिस पदाधिकारी अजय कुमार, शिवानी कुमारी ने नए कानून की बारीकियों के बारे में लोगों को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि नया कानून लागू होने से अपराध में कमी आएगी और अपराध करने वालों को सख्त से सख्त सजा मिल सकेगी. उन्होंने एक जुलाई से लागू किए गए नए आपराधिक कानूनों (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम) -2023 के महत्वपूर्ण बदलाव के बारे में जानकारी दी और इसके प्रति लोगों को जागरूक किया. 

उन्होंने कहा कि पुराने कानून ब्रिटिश राज्य के हितों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए दंड पर आधारित थे, जबकि नया कानून न्याय पर आधारित हैं, जो भारतीय न्याय व्यवस्था को प्रतिबिंबित करता है. नए आपराधिक कानूनों का मुख्य लक्ष्य ऐसी आपराधिक न्याय प्रणाली बनाना है जो न केवल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करती हो, बल्कि कानून व्यवस्था को भी और अधिक मजबूत बनाती हो ताकि सभी के लिए सुलभ एवं त्वरित न्याय सुनिश्चित हो सके. 

नए कानून में नागरिकों को मौखिक या इलेक्ट्रॉनिक संचार का उपयोग कर बिना उस क्षेत्र पर विचार किये जहां अपराध किया गया है, एफआईआर दर्ज कराने एवं बिना देरी के एफआईआर की एक प्रति निःशुल्क प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है. टेक्नोलाजी को दृष्टिगत रखते हुए दांडिक प्रणाली में आडियो, वीडियो एवं इलेक्ट्रोनिक साक्ष्य को समाहित किया गया है तथा कानूनी जांच, पूछताछ एवं मुकदमे की कार्यवाही को इलेक्ट्रॉनिक रुप से आयोजित करने का प्राविधान है.

यौन अपराधों में आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान

नए प्रावधानों में पुलिस को 90 दिन के भीतर जांच की प्रगति के बारे में पीड़ित को सूचित करना अनिवार्य है तथा पीड़ित की मेडिकल जांच उसकी सहमति से और अपराध की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर कराए जाने का अधिकार प्राप्त करने का प्रावधान है.

महिलाओं एवं बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों में कठोर दंड (आजीवन कारावास या मृत्युदंड) का प्रावधान किया गया है तथा चिकित्सकों को बलात्कार से पीड़ित महिला की मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर जांच अधिकारी को भेजने एवं पीड़ित महिला का बयान, केवल महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट के द्वारा दर्ज किया जाएगा और उसकी अनुपस्थिति में किसी महिला की उपस्थिति में पुरुष न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किये जाने का प्रावधान है. आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और सुलभ बनाया गया है. नागरिकों को अभियोजन पक्ष की सहायता के लिए अपना स्वयं का कानूनी प्रतिनिधित्व करने का अधिकार प्रदान किया गया है. 

इस मौके पर शहर के तमाम व्यापारी, समाजसेवी, महिलाएं और गणमान्य लोग मौजूद रहे, जिसमें शैलेंद्र कुमार, दयानंद शर्मा, ओम प्रकाश भगत, मो. आलम, मो. रईस, दिलीप खान, बसंत कुमार, पंकज कुमार, बब्बन कुमार बबलू, प्रहलाद कुमार, सुमन, दीपक शर्मा, विपिन शाह, विजय कुमार, सनोज कुमार, जय कृष्णा पोद्दार, कपिल देव पासवान, कन्हैया चौधरी, रविंद्र कुमार भगत, दिनेश कुमार मंडल, विनोद कुमार, धीरज शाह, कुंदन कुमार, उदय चौधरी, अंकेश कुमार, वासुदेव ठाकुर, कर्मवीर कुमार, कृष्ण कुमार शाह, रुद्र नारायण यादव, धनंजय कुमार, हरे राम साह, राजीव जायसवाल आदि प्रमुख थे.

भारतीय न्याय संहिता: मुरलीगंज थाने में जनप्रतिनिधि एवं स्थानीय बुद्धिजीवियों के साथ बैठक भारतीय न्याय संहिता: मुरलीगंज थाने में जनप्रतिनिधि एवं स्थानीय बुद्धिजीवियों के साथ बैठक Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 01, 2024 Rating: 5

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