BNMU विवाद: एजेंसी के माध्यम से प्रोफेसर की बहाली का विरोध तेज

मधेपुरा भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के ओल्ड कैम्पस स्थित भूपेन्द्र प्रतिमा के समक्ष बीएनएमयू के सभी शोधार्थियों की एक आपात बैठक आयोजित हुई.

बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने पत्र जारी कर कॉलेज और विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर की बहाली प्रक्रिया प्राइवेट ऐजेंसी को सौंप दी है. जिस पत्र के आलोक में पटना के किसी विकास ट्रेडर्स नाम की निजी कंपनी ने कुछ कॉलेजों में अध्यापन कार्य के लिए शिक्षकों की आपूर्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है.

भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के शोधार्थियों, पी.एच.डी. और नेट-जेआरएफ उत्तीर्ण स्टूडेंट्स ने संयुक्त रूप से बैठक आयोजित कर बिहार सरकार की शिक्षा विभाग के इस निर्णय का कड़ा विरोध एवं खेद प्रकट किया. बैठक के उपरांत सभी स्टूडेंट्स विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मिहिर कुमार ठाकुर से मिलकर आवेदन सौंपा. 

दिए गए आवेदन के माध्यम से कहा कि विश्वविद्यालय के विभिन्न अंगीभूत महाविद्यालयों में निजी एजेंसियों के द्वारा सहायक प्राध्यापकों की बहाली की जा रही है. रमेश झा महिला कॉलेज, सहरसा में इस तरह चार लोगों की बहाली की जा चुकी है. कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह की बहाली में न तो कोई पारदर्शिता है और न ही किसी आरक्षण रोस्टर का पालन हुआ है. नियम-परिनियम को ताक पर रखकर विश्वविद्यालय से बिना कोई अनुमति के ये बहाली की गई है.

वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा ने इस तरह की बहाली पर संज्ञान लेते हुए विश्वविद्यालय की अनुमति के बिना बहाली नहीं करने का सख्त निर्देश दिया है. हाल ही में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना में हुए सीनेट की बैठक में भी इस तरह की बहाली का विरोध हो चुका है.

अंत में सभी ने एक स्वर में कुलसचिव डॉ मिहिर कुमार ठाकुर से मांग की कि रमेश झा महिला कॉलेज सहरसा के द्वारा बहाल सहायक प्राध्यापक की बहाली को अतिशीघ्र रद्द किया जाय. साथ ही यह भी मांग किया कि भविष्य में विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुमति के बिना किसी भी तरह की बहाली नहीं हो. इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द एक अधिसूचना जारी करें. साथ ही महाविद्यालय के प्राचार्य पर विधिसम्मत कार्रवाई करने की कृपा की जाय. 

स्टूडेंट्स का कहना था कि बिहार सरकार का यह नया फरमान बिहार के शिक्षा-व्यवस्था को चौपट कर देगा. सरकार का यह फैसला कड़ी मेहनत करके नेट-जेआरएफ और पी-एच० डी. करने वाले स्टूडेंट्स का मनोबल तोड़ने वाला नियम है. इससे निजी कंपनियों के द्वारा प्रतिभाशाली और गरीब छात्रों का आर्थिक और मानसिक शोषण होना तय है. इसमें किसी भी तरह के आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं होगा. मनमर्जी अनुसार ये एजेंसी जब जिसे चाहे हटा देगी और जब जिसे चाहे ले आएगी. सरकार शिक्षा को निजीकरण करके शैक्षणिक संस्थानों को अनाथ बना देना चाहती है. यह प्रक्रिया अगर जारी रही तो बिहार की शिक्षा-व्यवस्था तो चौपट होगी ही साथ ही यहाँ की प्रतिभा का भी पलायन हो जाएगा. जिससे आगे आनेवाली पीढ़ियाँ बर्बाद हो जाएगी.

सरकार के इस फैसले को अविलंब वापस लें अन्यथा व्यापक स्तर पर इस निर्णय का विरोध किया जाएगा.

मौके पर नरेश कुमार, सारंग तनय, विभीषण कुमार, अमरेश कुमार, कौशल कुमार, माधव कुमार, निशांत यादव, मो. वसीमउद्दीन उर्फ नन्हें, सौरभ कुमार, नंदन कुमार, अरमान अली, प्रभात रंजन, नीरज कुमार, राज किशोर राज, सोनू यादव, नीतीश कुमार, शशि कुमार, नंदन कुमार, ईशा असलम, नीतीश कुमार उर्फ जापानी यादव, सौरभ कुमार, अक्षय सिद्धांत, मुकेश कुमार, ब्रजभूषण, राजेश कुमार आदि मौजूद रहे.

BNMU विवाद: एजेंसी के माध्यम से प्रोफेसर की बहाली का विरोध तेज BNMU विवाद: एजेंसी के माध्यम से प्रोफेसर की बहाली का विरोध तेज Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 22, 2024 Rating: 5

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