बिहार सरकार के इस फैसले को छात्र संगठनों ने छात्र विरोधी बताकर घंटों सरकार विरोधी नारे लगाए. प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे एनएसयूआई जिलाध्यक्ष निशांत यादव ने कहा कि निजी कंपनियों द्वारा महाविद्यालयों में प्राध्यापकों की बहाली उच्च शिक्षा को बर्बाद कर देगी. निजी कंपनियों द्वारा बहाली में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितता बरती जाएगी. जिसका उदाहरण अन्य सेवा क्षेत्रों में निजी कंपनियों द्वारा किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार के तमाम सरकारी कार्यालयों में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर निजी कंपनियों द्वारा बहाली की जाती है जिसमें अभ्यर्थियों का शोषण, कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार आम बात हो गयी है.
जिलाध्यक्ष निशांत यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद को समाजवाद और सामाजिक न्याय के पैरोकार कहते हैं लेकिन उनकी नीतियां बिल्कुल इसके विपरित है. उच्च शिक्षा में निजीकरण कर निजी कंपनियों का हस्तक्षेप समाजवाद की कौन सी परिभाषा है. बहाली में निजी कंपनियों द्वारा आरक्षण रोस्टर की अनदेखी कौन सा सामाजिक न्याय है. आइसा जिला सचिव पावेल कुमार ने कहा बालू और गिट्टी बेचने वाली ट्रेडर्स को अगर शिक्षकों की बहाली का ठेका दिया जायेगा तो ऐसे परिस्थिति में बेहतर शिक्षा की उम्मीद करना हास्यास्पद है. सरकार द्वारा बिहार के उच्च शिक्षा व्यवस्था में निजीकरण को हमलोग कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे.
कार्यक्रम में मुख्य रूप से एआईएसएफ नेता प्रभात रंजन, आइसा राज्य उपाध्यक्ष नीरज यादव, जिलाध्यक्ष सन्नी कुमार, शशिकांत, एनएसयूआई जिला सचिव सोनू कुमार, अंशु पासवान, लालबहादुर कुमार, रामविलास, आशुतोष कुमार, धीरज कुमार, अमरदीप कुमार, प्रदीप कुमार, अमरेश कुमार, कौशल कुमार समेत दर्जनों छात्र और छात्र नेता मौजूद थे.

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