कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कालखंड के प्रथम शिव शिष्य साहब हरिद्रानंद जी और दीदी राजमणि नीलम आनंद के पुत्र मोनू भैया थे. चर्चा स्थल पर मोनू भैया के पहुंचने पर शिव शिष्य भक्तों ने चर्चा स्थल से लेकर परमानपुर ओपी तक मानव श्रृंखला लगाकर मोनू भैया के आगमन में हर भोला हर भोले के जयकारा के साथ पुष्पों की बरसात करते हुए भव्य स्वागत किया.
वहीं कार्यक्रम के दौरान चर्चा करते हुए मोनू भैया ने शिव पर चर्चा में इस कालखंड के प्रथम शिव शिष्य साहब श्री हरिद्रानंद जी व दीदी राजमणि नीलम आनंद की ओर से बताए गए भगवान शिव गुरु से जुड़ाव की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला. साथ ही उनके द्वारा दिए गए तीन सूत्रों की व्याख्या विस्तार रूप से करते हुए बताया कि प्रथम सूत्र है शिव आप मेरे गुरु हैं मैं आपका शिष्य हूं मुझ पर दया कीजिए. दूसरा सूत्र अपने शिव गुरु की चर्चा दूसरों से करने या शिव भाव जागरण की अनुपम विधा है. तीसरा सूत्र अपने गुरु के परिणाम करने के लिए नमः शिवाय मंत्र का सहारा लेना है. उसके लिए समय की कोई बाध्यता नहीं है.
उन्होंने कहा कि साहब हरिद्रानंद जी ने पहले भी हमारे गुरु शिव शिष्यानुभूति नामक पुस्तक लिखा था और शरीर छोड़ने से पहले उन्होंने दो पुस्तक लिखा. एक अनमिल दूसरा पुस्तक आओ चले शिव की ओर. दोनों ही पुस्तक सभी के लिए जीवन से जुड़ी पुस्तक है. वहीं उन्होंने शिव शिष्यों को कहा कि शिव जगत के गुरु हैं संसार के जितने भी प्राणी है सभी उनके शिष्य हैं. यदि हम उन्हें गुरु भाव से याचक बनकर दया मांगे क्षमा मांगे तो हमारा कल्याण होगा. इस संसार के एक-एक मनुष्य उनके शिष्य बनाकर उन्हें गुरु का भाव दे तो पूरे जगत का कल्याण निश्चित ही सुगमता से हो पाएगा.
इस मौके पर रमेश गुरु भाई, राधे, बेचन, मनोज, संजय, जटाशंकर, सुशील, अनिल सहित दूर-दराज से आए गुरु भाई बहन मौजूद थे.

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