हालांकि युवक अभी कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं है. युवक की पहचान मुरलीगंज थाना क्षेत्र के रजनी प्रसादी गांव निवासी कृष्णा बास्की के रूप में की गई है.
एक बेटी को छोड़कर पत्नी चली गई थी मायके
घायल आदिवासी युवक कृष्णा बास्की के साथ आए उसके पड़ोसी कैलाश ऋषिदेव ने बताया कि आदिवासी समुदाय में मकर संक्रांति का पर्व 1 माह तक चलता है. इस दौरान अलग-अलग घरों में उत्सव मनाया जाता है. चूंकि कृष्णा दो-ढाई महीने से लगातार बीमार चल रहा था, तो उसकी पत्नी, उसे और एक बेटी को छोड़कर यह सोचकर मायके चली गई कि कृष्णा भी अगर साथ जाएगा तो वहां वह निगरानी में नहीं रहेगा. इससे वह ज्यादा बीमार हो सकता है लेकिन यह बात कृष्णा को बहुत बुरी लगी. इस कारण से गुरुवार की रात लगभग आठ बजे उसने किसी को कुछ बताए बिना अपना गुप्तांग काटकर कुल देवता के स्थान में चढ़ा दिया. बाद में लोगों ने उसे मुरलीगंज के अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया.
बेटा पैदा होने के बाद तीन माह पूर्व आया था घर
पड़ोसी कैलाश ऋषिदेव ने बताया कि कृष्णा बाहर रहकर मजदूरी करता है. तीन माह पहले ही उसकी पत्नी ने एक बेटा को जन्म दिया था. यह जानकारी मिलने के बाद ही वह गांव आया था. यहां आने के बाद वह गंभीर रूप से बीमार हो गया. अभी भी वह बीमार ही चल रहा है. इस कारण से घर पर ही रहता है. इस बीच गुरुवार की रात को किसी को कुछ बताए बिना उसने खुद के साथ इस तरह की घटना कर ली. डॉक्टरों ने उसे खतरे से बाहर तो बताया है, लेकिन अभी वह खुद से कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है.
युवक के पिता हैं अपनी जाति के मुखिया, होने वाली थी बैठक
बताया गया कि मुरलीगंज प्रखंड के रजनी प्रसादी गांव निवासी कृष्णा के पिता अपनी जाति के मुखिया हैं. आदिवासी समुदाय के मुखिया के घर पर ही कुलदेवता स्थापित किए जाते हैं. उसके गांव में भी मकर संक्रांति उत्सव मनाने को लेकर गुरुवार की रात को कुलदेवता स्थान में समुदाय की बैठक होने वाली थी लेकिन रात को हुई घटना ने सभी को हतप्रभ कर दिया.

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