कार्यक्रम में बड़ी संख्या में एनएसयूआई कार्यकर्ता, छात्र एवं छात्राएं उपस्थित होकर प्रथम शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित कर उनको याद किया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एनएसयूआई जिलाध्यक्ष निशांत यादव ने कहा कि अबुल कलाम आजाद कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे. खिलाफत आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. 1923 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र के प्रेसीडेंट बने. वे 1940 और 1945 के बीच कांग्रेस के प्रेसीडेंट रहे. स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही. हिंदू-मुस्लिम एकता के तरफ उनके द्वारा किए गए कार्य सराहनीय रहे. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद राष्ट्र निर्माण और देश के विकास में अच्छी शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है, आजाद यह अच्छी तरह जानते थे. ऐसे में उन्होंने देश में आधुनिक शिक्षा पद्धति लाने के लिए कई बड़े कदम उठाए.
जिलाध्यक्ष निशांत यादव ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने आजाद के नेतृत्व में ही 1951 में देश का पहला आईआईटी संस्थान स्थापित किया. इसके बाद 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) बनाया गया. उनका मानना था कि ये संस्थान भविष्य में भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र में अहम साबित होंगे. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और सेकेंडरी एजुकेशन कमिशन भी उन्हीं के कार्यकाल में स्थापित किया गया था. देश में प्रसिद्ध जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की स्थापन में भी उनका अहम योगदान रहा.
कार्यक्रम में मुख्य रूप से एनएसयूआई जिलाउपाध्यक्ष जितेंद्र कुमार, जिला सचिव सोनू कुमार, जिला महासचिव नवीन कुमार, अमरेश कुमार, सुदर्शन कुमार, पुरुषोत्तम कुमार, सुमन झा, कृष्णमोहन कुमार, प्रेम कुमार, रोशन कुमार, चंद्रशेखर कुमार, लालबहादुर कुमार, गोपी कुमार, आशुतोष कुमार, मौसम झा, राजेश कुमार, आयुष कुमार, नीतीश कुमार, मिथलेश कुमार, दीपक कुमार, रामलखन कुमार समेत दर्जनों एनएसयूआई कार्यकर्ता मौजूद थे.
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