दीक्षांत समारोह शिक्षा का अंत नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरूआत है : राज्यपाल

बीएनएमयू का चतुर्थ दीक्षांत समारोह संपन्न। राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान थे मुख्य अतिथि सह अध्यक्ष

दीक्षांत समारोह शिक्षा का अंत नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरूआत है। इस समारोह में उपाधि प्राप्त करके विद्यार्थियों के जीवन का एक सोपान पूर्ण हुआ है। जहाँ से विद्यार्थियों को क्रमशः आगे बढ़ते जाना है। 

यह बात बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान ने कह। वे बुधवार को भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा मुख्य अतिथि सह अध्यक्ष के रूप में बोल रहे थे।

ज्ञान को और अधिक विस्तृत करेंगे और दूसरों के साथ बाँटें

कुलाधिपति ने स्वर्ण पदक, उपाधि एवं प्रमाण पत्र पाने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई दी और उम्मीद की कि सभी विद्यार्थी अपने अर्जित ज्ञान को और अधिक विस्तृत करेंगे और दूसरों के साथ बाँटेंगे।‌ आप अपने क्षेत्र में सर्वोच्च मुकाम हासिल करेंगे और समाज एवं राष्ट्र के विकास तथा मानवता के कल्याण में अपना सर्वोत्तम योगदान देंगे। छात्र-छात्राएं  विद्वता के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को धारण करेंगे और उनमें उच्चादर्शों पर चलने की भरपूर इच्छा शक्ति एवं क्षमता विकसित होगी।

दीक्षांत समारोह की परंपरा सदियों पुरानी

कुलाधिपति ने बताया कि भारत में  दीक्षांत समारोह की परंपरा सदियों पुरानी है। प्राचीन ग्रंथ उपनिषद् में भी इसका उल्लेख मिलता है। इस अवसर पर गुरू अपने शिष्यों को सत्य बोलने, कर्तव्य का पालन करने और स्वाध्याय में आलस्य नहीं करने की दीक्षा देते थे। यह दीक्षा आज भी प्रासंगिक है और हम सब को इसे मन वचन एवं कर्म से अपनाने की जरूरत है।

बिहार का बहुमूल्य योगदान

उन्होंने बताया कि भारत की प्राचीन गौरवशाली शिक्षा- व्यवस्था में बिहार का बहुमूल्य योगदान रहा है। यहाँ के नालन्दा एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय की पूरी दुनिया में ख्याति रही है। हमें अपने इस गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेते हुए अपने उज्ज्वल भविष्य की नई राह बनानी है। 

समाजवादी विचारकों में अग्रगण्य हैं भूपेंद्र नारायण मंडल


इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि बिहार सरकार के ऊर्जा और योजना एवं विकास विभाग के मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि भूपेंद्र नारायण मंडल का नाम देश के समाजवादी विचारकों में अग्रगण्य है। उन्होंने अपने ज्ञान एवं आचार से एक नई मिशाल कायम की है। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा-व्यवस्था में ज्ञान एवं कर्म के बीच समन्वय पर जोर दिया गया है। आचरण के बिना कोरा ज्ञान भार स्वरूप है। अतः ज्ञान को समाज के हित में लगाने की जरूरत है।

शिक्षा पर निर्भर करता है राष्ट्र का भविष्य

शिक्षा और संसदीय कार्य विभाग के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि शिक्षा वह स्तभ है जिस पर समाज एवं राष्ट्र का भविष्य निर्भर करता है। यह लोगों को राष्ट्र के जिम्मेदार और सक्रिय नागरिक बनाने के लिए आवश्यक कौशल, ज्ञान, मूल्य और दृष्टिकोण हासिल करने में सक्षम बनाती है। यह वह प्रकाश है, जिसके माध्यम से हम सभी अपने सपनों एवं कल्पनाओं को साकार कर सकते हैं।

शिक्षा के विकास हेतु चलाई जा रही हैं कई योजनाएं

उन्होंने बताया कि शिक्षा के समग्र विकास हेतु सर्व शिक्षा अभियान, मुख्यमंत्री बालक एवं बालिका साइकिल योजना, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना आदि का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। साथ ही सभी वर्ग की छात्राओं और एससी एवं एसटी वर्ग के छात्रों के लिए स्नातकोत्तर स्तर तक निःशुल्क शिक्षा का प्रावधवान किया गया है। मुख्यमंत्री बालिका स्नातक प्रोत्साहन योजना के तहत स्नातक उत्तीर्ण करने वाली सभी छात्राओं को पचास हजार रू. प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है और बिहार स्टूडेंट कार्ड योजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन हो रहा है।

प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में हुआ है काफी सुधार

उन्होंने बताया कि बिहार सरकार के सतत प्रयास और सभी बिहारवासियों की सक्रिय भागीदारी से बिहार में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में काफी सुधार हुआ है। बिहार की उच्च शिक्षा में नामांकन अनुपात एक वर्ष में 14.5 प्रतिशत से बढ़कर 19.3 प्रतिशत हो गया है जिसे बढ़ाकर राष्ट्रीय औसत के बराबर अर्थात् 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य है।  

सभी प्रखंडों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई की व्यवस्था

उन्होंने बताया कि बिहार सरकार द्वारा सभी प्रखंडों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई की व्यवस्था कर दी गई है और विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षकों  की व्यवस्था की जा रही है। इससे इंटर पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ने या दूसरे राज्यों में पलायन करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में कमी आई है। हम अपनी प्रतिभाओं को अपने प्रदेश में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध हैं। 

विश्वविद्यालयों के समग्र विकास हेतु हो रहे हैं ठोस प्रयास

उन्होंने बताया कि बिहार के सभी महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के समग्र विकास हेतु ठोस प्रयास किए जा रहे हैं और नैक मूल्यांकन के कार्यों को गति देने हेतु ठोस कदम उठाए गए हैं। सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा गया है कि इसमें कोई दिक्कत हो, तो बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद् से सहयोग लें। हमें पूर्ण विश्वास है कि आने वाले दिनों में बिहार की शिक्षा-व्यवस्था एक आदर्श मुकाम हासिल करेगी।

हो रहा है महिला- सशक्तिकरण

उन्होंने कहा कि बिहार में महिलाओं की शिक्षा के विकास और उनके समग्र सशक्तिकरण हेतु काफी योजनाएं चलाई जा रही हैं। आज स्वर्ण पदक पाने वालों के छात्रों से अधिक छात्राएँ हैं, जो बिहार सरकार और विशेषकर माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महिला- सशक्तिकरण के सपनों का साकार प्रतिरूप प्रस्तुत करता है।

विश्वविद्यालय है सांझी धरोहर

कुलपति ने कहा कि यह विश्वविद्यालय हमारे पुरखों की एक साझी धरोहर है। इस धरोहर के संरक्षण एवं संवर्धन की जिम्मेदारी हम सबों की है। आप सभी हमें विश्वविद्यालय के समग्र शैक्षणिक उन्नयन में सकारात्मक सहयोग दें और साथ चलने का संकल्प लें। सभी अपनी-अपनी क्षमताओं का सकारात्मक उपयोग करें और विश्वविद्यालय को अपनी सर्वोत्तम सेवा दें।

नामांकन अनुपात में हुई है वृद्धि

कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय अंतर्गत सकल नामांकन अनुपात में आशातीत वृद्धि हुई है। इस वर्ष स्नातकोत्तर में नामांकन हेतु कुल 1404 सीटों की अतिरिक्त वृद्धि हुई है।   स्नातक स्तर पर नामांकन के लिए और अधिक सीट वृद्धि का प्रस्ताव राज्य सरकार को प्रेषित है। विश्वविद्यालय में रोजगारपरक एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। कई नए कोर्स शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। 

दिसंबर तक सत्र होगा नियमित

कुलपति ने बताया कि विगत एक वर्ष में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर की कुल 39 परीक्षाएँ आयोजित की गई हैं और 37 परीक्षाओं का परीक्षाफल भी घोषित कर दिया गया है। स्नातक का सत्र नियमित हो चुका है और स्नातकोत्तर के सत्र को दिसंबर 2022 तक नियमित करने की योजना है। साथ ही सभी उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन प्रमाण.पत्र वितरित करने  की व्यवस्था की गई है। 

शोध पर दिया जा रहा ध्यान

कुलपति ने बताया कि शिक्षकों को शोध कार्यों पर ध्यान देने हेतु प्रेरित किया जा रहा है। सभी शिक्षकों को नियमित रूप से गुणवत्तापूर्ण शोध आलेखों का प्रकाशन कराने और विद्यार्थियों के लिए अपने विषय की पाठ्य सामग्रियाँ तैयार करने हेतु निर्देश दिए गए हैं। शोध की गुणवक्ता को बरकरार रखने हेतु प्लेगरिजम डिक्टेशन सेंटर की स्थापना की गई है। मेधावी शोधार्थियों को शोध में आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए शोध विकास कोष के गठन का निर्णय लिया गया है। 

लगातार हो रहा है शैक्षणिक आयोजन

कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में लगातार शैक्षणिक आयोजन हो रहा है। कई ऑनलाइन एवं ऑफलाइन सेमिनारों, सम्मेलनों एवं कार्यशालाएं हुई हैं। आजादी के अमृत महोत्सव को दृष्टिपथ में रखते हुए भूपेंद्र नारायण मंडल : जीवन एवं दर्शन विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन करने जा रहे हैं।

नैक मूल्यांकन पर ध्यान

कुलपति ने बताया कि हम विश्वविद्यालय का नैक से मूल्यांकन कराने हेतु प्रतिबद्ध हैं। सभी महाविद्यालयों को नैक से मूल्यांकन की मुकम्मल तैयारी करने का निर्देश दिया है और इसके लिए विश्वविद्यालय की ओर से हरसंभव सहयोग किया जा रहा है।

शोभायात्रा में शामिल हुए राज्यपाल

जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि कुलाधिपति का हेलीकाप्टर एसएकेएनडी कालेज के हैलिपैड पर उतरा। वहां जिला प्रशासन के द्वारा उन्हें गार्ड आफ आनर दिया गया। विश्वविद्यालय पधारने पर कुलपति आवास पर 17 एनसीसी बिहार बटालियन के कैडेट्स ने कैप्टन गौतम कुमार के नेतृत्व में गार्ड आफ आनर दिया। कुलपति आवास से शोभा यात्रा निकाली गई। शोभायात्रा के साथ राज्यपाल सह कुलाधिपति एवं अन्य अतिथिगण सभा में प्रवेश किया। तदुपरांत राष्ट्रगान का सामूहिक गायन हुआ। राष्ट्रगान के बाद सभी अतिथि महामना भूपेंद्र नारायण मंडल के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की तदुपरांत कुलगीत की प्रस्तुति हुई।

दी गई दीक्षा

उन्होंने बताया कि कुलपति डॉ. आर. के. पी. रमण राज्यपाल सह कुलाधिपति सहित सभी अतिथियों का अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं सिंहेश्वर मंदिर का स्मृतिचिह्न भेंटकर स्वागत किया।अभ्यर्थियों को कुलपति द्वारा दीक्षा दी गई।

कार्यक्रम के अंतिम में प्रति कुलपति डॉ. आभा सिंह धन्यवाद ज्ञापन किया। संचालन कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर ने की। परीक्षा नियंत्रक प्रो. आर. पी. राजेश ने प्रमाण-पत्र प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों का नाम घोषित किया।

इस अवसर पर डॉ. आर. एन. मिश्रा, डॉ. अवध किशोर राय, डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी, डॉ. आर. एन. यादव, डॉ. एन. के. यादव, डॉ. अजय सिंह, डॉ. चंद्रहास चौपाल, परमेश्वरी प्रसाद निराला, डॉ. घनश्याम राय, डॉ. राजकुमार सिंह, डॉ. उषा सिन्हा, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. नवीन कुमार, डॉ. इम्तियाज आलम, डॉ. अशोक कुमार यादव आदि उपस्थित थे। 

कार्यक्रम के आयोजन में  डॉ. पवन कुमार, डॉ. बीएन विवेका, डॉ. इम्तियाज अंजुम, डॉ. एम. आई. रहमान, डॉ. रीता सिंह, डॉ. अबुल फजल, डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. शंकर कुमार मिश्र, शंभु नारायण यादव, पृथ्वीराज यदुवंशी आदि ने सहयोग किया।

समारोह में कुल 574 विद्यार्थियों ने भाग लिया है

जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने परीक्षा नियंत्रक प्रो. आर. पी. राजेश के हवाले से बताया कि चतुर्थ दीक्षांत समारोह में कुल 574 विद्यार्थियों ने भाग लिया है, जिनमें 289 छात्राएं एवं 282 छात्र हैं। इस अवसर पर 47 विद्यार्थियों को  स्वर्णपदक प्रदान किया जाएगा, जिनमें 26 छात्राएं हैं, जबकि छात्रों की संख्या मात्र 21 है। कुल 97 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि मिलेगी, इनमें 44 छात्राएं और 53 छात्र हैं।

दीक्षांत समारोह शिक्षा का अंत नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरूआत है : राज्यपाल दीक्षांत समारोह शिक्षा का अंत नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरूआत है : राज्यपाल Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 03, 2022 Rating: 5

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