कौन जिम्मेदार?: एकलौता राजकीय प्लस टू उच्च विद्यालय आजादी के 75 वर्ष बाद भी है बदहाली का शिकार

एक तरफ देश जहाँ आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है वहीँ मधेपुरा जिले के मुरलीगंज का एकमात्र राजकीय प्लस टू उच्च विद्यालय अमारी आजादी के 75 वर्ष बाद भी बदहाली का है शिकार, कौन है जिम्मेदार, सरकार व शिक्षा विभाग की उपेक्षा का बना शिकार

बिहार में शिक्षा के नाम पर खूब राशि खर्च की जा रही है लेकिन अजग-गजब खेल के कारण मधेपुरा जिले का एकमात्र राजकीय प्लस टू विद्यालय अमारी, जिसकी स्थापना वर्ष 1948 में हुई थी. आज उपेक्षा के कारण सरकार एवं शिक्षा विभाग खुद कटघरे में दिखती है. ग्रामीण क्षेत्रों के वंचित समाज के साथ सरकार की वर्तमान व्यवस्था द्वारा की जा रही उपेक्षा के भाव से कई सवाल खड़े होते हैं.  

मुरलीगंज प्रखंड मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित हरिपुरकला पंचायत के अंतर्गत राजकीय उच्च विद्यालय को प्लस टू का दर्जा प्राप्त है. इस विद्यालय की स्थापना आजादी के ठीक 1 वर्ष बाद हुई थी. कहने को अमारी राजकीय प्लस टू विद्यालय एक अनुकरणीय (मॉडल) विद्यालय का दर्जा प्राप्त है.

गौरतलब हो कि अमारी प्लस टू विद्यालय के पास 40 एकड़ भूमि है जो जिले के किसी भी विद्यालय के पास उपलब्ध नहीं है. यहां तक कि यह 40 एकड़ भूमि जिसके अधिकांश हिस्सों पर अतिक्रमणकारियों का कब्ज़ा है.

11वीं में 127 छात्र छात्रा नामांकित हैं वहीं 12वीं में 126 छात्र-छात्रा नामांकित हैं. कक्षा में कुल 253 नामांकित बच्चों की संख्या प्लस टू तक के छात्रों को पढ़ने के लिए एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं किए गए हैं. जबकि प्लस टू कक्षाओं में नामांकित छात्र छात्राओं को उच्च विद्यालय के शिक्षक ही पढ़ाते हैं. पर्याप्त जमीन रहने के बावजूद भवन का निर्माण शिक्षा विभाग द्वारा नहीं शुरू किया गया है. विद्यालय में कक्षा नौ एवं दस में छात्र छात्राओं की संख्या 721, व कक्षा के नाम पर पुराने हॉल में 2 कक्षाएं संचालित होती है. इतने छात्रों का वर्ग संचालन होना असंभव सा प्रतीत होता है.



विद्यालय की स्थापना आजादी के 1 वर्ष बाद 1948 में हुई

इस विद्यालय की स्थापना 1948 राजकीय उच्च विद्यालय के रूप में हुई थी. इस स्कूल को जिले का एकमात्र मॉडल (अनुकरणीय) उच्च विद्यालय का दर्जा प्राप्त है. स्वतंत्रता प्राप्ति से अब तक बदहाल अवस्था में अपने पुराने जर्जर भवन में अवस्थित है. वर्ष 2016 में इसे प्लस टू का दर्जा दिया गया था. विद्यालय को अपग्रेड हुए पांच वर्ष  बीत जाने के बाद भी प्लस टू में एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं किए गए हैं. किसी तरह शिक्षक माध्यमिक के कक्षा नौ एवं दस को पढ़ाते हैं. इसके बावजूद यहां के छात्र-छात्राओं का मैट्रिक परीक्षा परिणाम 97 फीसद है. 

मधेपुरा टाइम्स टीम की पड़ताल के दौरान  प्रधानाध्यापिका आभा कुमारी से विद्यालय की बदहाली के बारे में जानकारी मांगी और जर्जर भवन के कारण के बारे में जानकारी मांगी गई तो प्रधानाध्यापिका आभा कुमारी ने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व के प्रधानाध्यापक के समय भवन के लिए आवंटन आया था जो कि बहुत ही छोटी राशि थी और वह वापस चली गई. वर्तमान समय में जब इस स्कूल को मॉडल (अनुकरणीय) विद्यालय का दर्जा दिया गया तब बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के तहत कनीय अभियंता द्वारा भवन निर्माण के लिए नक्शा प्राक्कलन की राशि एवं हम लोगों से आवश्यक जानकारियां मांगी गई. जिसे जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा अनुमोदन उपरांत दिया भी गया लेकिन आज तक उस दिशा में धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आया. विद्यालय अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है.



वहीं उन्होंने बताया कि इस विद्यालय के पदेन अध्यक्ष जिला पदाधिकारी होते हैं. इस विद्यालय से कई शिक्षक जिला शिक्षा पदाधिकारी के रूप में जिले में पद भार ग्रहण किए हैं उसके बावजूद इसका कायाकल्प नहीं हो सका. उग्रेस मंडल जो शिक्षक से मधेपुरा जिला शिक्षा पदाधिकारी के रूप रहे. वहीं शिव शंकर राय जो जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के रूप में मधेपुरा में पदस्थापित हुए. जो यहीं के शिक्षक थे. गोरख प्रसाद जो सारण जिले में जिला शिक्षा पदाधिकारी के रूप में रहे वे भी यहीं के शिक्षक थे, लेकिन यह विद्यालय बना रहा उपेक्षा का शिकार.

विद्यालय में पुस्तकालय कक्ष के अभाव में किताबें ट्रंक व आलमीरा में बंद है. विद्यालय के एक कमरे के कोने में टेबल पर धूल फांक रही किताबों के विषय में जब पुस्तकालय अध्यक्ष पिंटू कुमार से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बताया कि एक बड़े हॉल में प्रधानाध्यापक कक्ष, प्रधान लिपिक कक्ष, प्राध्यापक प्रकोष्ठ, के साथ-साथ पुस्तकालय एवं विज्ञान प्रयोगशाला है, जिसे अलमारी में रखकर पार्टीशन में विभाजित किया गया है. छोटे से जगह में 72 वर्ष पुरानी लकड़ी की अलमारी जिसे चूहे और दीमक खा चुके हैं, उनमें किताबें भी रखरखाव के अभाव में खराब हो रही है. विद्यालय के भवन की जमीन कच्ची है. जिसमें सैकड़ों चूहे के बिल हैं. कुछ किताबें एक गोदरेज की अलमारी में बंद व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रही है.

बोरे में बंद खेल सामग्री

छात्र-छात्राओं को शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत व स्वस्थ बनाए रखने के लिए विद्यालय में जिमखाना के अभाव में जिम व खेल सामग्री बोरे में बंद है. इससे यहां के छात्रों को प्रतिभा कुंठित हो रही है. जबकि विद्यालय के पोषक क्षेत्र के बच्चे फुटबॉल के खेल में अपना दबदबा जिले भर में कायम किए हुए है. विद्यालय का अपना खेल मैदान है जिस पर अभी-अभी स्टेडियम का निर्माण शुरू हुआ है. यह एक अच्छी बात है. जबकि शारीरिक शिक्षक के रूप में राजन कुमार राजू पदस्थापित हैं.

रसायन विज्ञान, भौतिकी विज्ञान, जीव विज्ञान, की प्रयोगशाला जर्जर अवस्था में

प्रयोगशाला के विषय में जानकारी मांगने पर रसायन विज्ञान के शिक्षक सुनील कुमार ने बताया कि विद्यालय की जर्जर भवन में छोटे-छोटे प्रयोगशाला कक्ष है, जहां किसी तरह से बच्चों की प्रायोगिक कक्षा संचालित करवाई जाती है, जर्जर भवन में छोटे से टेबल पर और जहां प्रयोगशाला कक्ष में पानी एवं गैस की आपूर्ति की व्यवस्था नहीं है, अन्य मूलभूत सुविधाओं का प्रयोगशाला में अभाव है, सभी प्रयोगशाला में कमोबेश यही स्थिति सामने आई, इस तरह की व्यवस्थाएं जिले के इकलौते राजकीय विद्यालय मुंह शिक्षा व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा है,

वहीं मौके पर पहुंचे माध्यमिक जिला शिक्षक संघ अध्यक्ष कृष्ण कुमार यादव से जानकारी मांगने पर उन्होंने बताया कि जिस स्कूल के पदेन अध्यक्ष जिला पदाधिकारी हो उस स्कूल की यह दुर्गति जो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से अपने 72 वर्ष पुराने जर्जर भवन में चल रही हो क्या कुछ कह सकते हैं. पिछले 5 वर्षों से जिला माध्यमिक शिक्षक संघ के पद पर हैं. मैंने पूर्व जिला पदाधिकारी नवदीप शुक्ला सर एवं वर्तमान जिला पदाधिकारी को इस विषय में ध्यान आकर्षित किया है. यहां तक की इस मधेपुरा संसदीय क्षेत्र के सांसद और बिहारीगंज के वर्तमान  विधायक जो पिछले अपने दो कार्यकाल से यहां बने हुए हैं उनका भी ध्यान आकृष्ट किया हूं लेकिन जो चुनाव के वादे होते हैं उसी तरह वादे तो किए गए लेकिन हुआ कुछ नहीं.

पेयजल व शौचालय उपलब्ध

विद्यालय में छात्र-छात्राओं की सुविधा के लिए अलग-अलग शौचालय की पर्याप्त व्यवस्था का अभाव है. मामले में जानकारी देते हुए प्रधानाध्यापक ने बताया कि समग्र शिक्षा की दी गई राशि के द्वारा किसी तरह मरम्मत कर शौचालय चलाया जा रहा है. हालांकि रख रखाव के अभाव में शौचालय का हाल बुरा है. वहीं पेयजल के लिए दो चापाकल पाए गए. जिसका पानी काफी आयरन युक्त पीले पाए गए जो पीने के लायक नहीं थे. शिक्षक द्वारा अपने घरों से पानी के बोतल लेकर आने की बात बताई.

मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि जल्द ही कनीय अभियंता को भेजकर प्राक्कलन तैयार करवा लिया जाएगा कर राज्य को भेजा दिया जाएगा. राशि आवंटन के बाद भवन निर्माण करवाया जाएगा.

सर्वशिक्षा के कनीय अभियंता दीपक कुमार ने कहा कि यह बात सही है कि यह एक मॉडल स्कूल है और यहां कक्षा के नाम पर एक छोटे से हॉल को दो भागों में विभाजित कर वर्ग कार्य संपन्न कराया जाता है. 2 महीने पूर्व बिहार शिक्षा परियोजना को विद्यालय के प्राक्कलन एवं भवन निर्माण की आवश्यकता के विषय में सूचनाएं भेज दी गई है. निर्माण के आवंटन के उपरांत ही जीर्णोद्धार या निर्माण शुरू होगा.

सर्व शिक्षा अभियान के सहायक अभियंता दीपेंद्र कुमार, सहायक अभियंता मधेपुरा ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ दिन पूर्व विद्यालय की मूलभूत भवन शौचालय पेयजल चारदिवारी के लिए राज्य सरकार को सूचना एवं राशि आवंटन के लिए लिखी गई है. राशि आवंटन उपरांत निर्माण की दिशा में पहल किया जाएगा.

मौके पर विद्यालय के प्रधानाध्यापिका आभा कुमारी, वरीय शिक्षक अरुण कुमार राम, किशोर मिश्र, सुनील कुमार, चांद अली, कुंदन जायसवाल, रमेश रमन, राधा कुमारी, सोनी मिश्रा, चंदन आदि उपस्थित थे.

कौन जिम्मेदार?: एकलौता राजकीय प्लस टू उच्च विद्यालय आजादी के 75 वर्ष बाद भी है बदहाली का शिकार कौन जिम्मेदार?: एकलौता राजकीय प्लस टू उच्च विद्यालय आजादी के 75 वर्ष बाद भी है बदहाली का शिकार Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 22, 2022 Rating: 5

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