यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई० मुरारी ने कहा कि आज हमलोगों को जरूरत है बापू के बताये गए नक्शे कदम पर चलने की. बापू ने जो अपना योगदान हिंदुस्तान को आज़ाद कराने में दिया है वो अनुकरणीय है, क्योंकि बापू के कारण ही देश आजाद हुआ है. गांधीजी ने अपना जीवन सत्य और सच्चाई की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया. उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी स्वयं की गलतियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की. उन्होंने अपनी आत्मकथा को सत्य के प्रयोग का नाम दिया.
गांधीजी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने दुष्टात्माओं, भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना है. गांधीजी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्यक्त किया जब उन्होंने कहा कि भगवान ही सत्य है. बाद में उन्होंने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है में बदल दिया. इस प्रकार सत्य में गांधी का दर्शन है परमेश्वर.
छात्र नेता अजित कुमार व इंदल यादव ने कहा कि मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर कर दी गई थी. वे रोज शाम वहां प्रार्थना किया करते थे. 30 जनवरी 1948 की शाम को जब वे संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे ने पहले उनके पैर छुए और फिर सामने से उन पर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियाँ दाग दीं. उस समय गांधी अपने अनुचरों से घिरे हुए थे.
वहीं ओम कुमार व राजा कुमार ने कहा कि नाथूराम गोडसे सहित आठ लोगों को हत्या की साजिश में आरोपी बनाया गया. इन आठों लोगों में से तीन आरोपियों शंकर किस्तैया, दिगम्बर बड़गे, विनायक दामोदर सावरकर, में से दिगम्बर बड़गे के सरकारी गवाह बनने के कारण बरी कर दिया गया. शंकर किस्तैया को उच्च न्यायालय में अपील करने पर माफ कर दिया गया. सावरकर के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं मिलने से अदालत ने उन्हें मुक्त कर दिया. अन्त में बचे पाँच अभियुक्तों में से तीन- गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को आजीवन कारावास हुआ तथा दो- नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे को फाँसी दे दी गयी.
कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रदेश उपाध्यक्ष ई० अंशु यादव, डॉ० अमलेश यादव, गुड्डू कुमार, पुष्पक कुमार, विकाश कुमार राजा, विवेक कुमार, गौतम कुमार, हिमांशु कुमार, राजा यदुवंशी, ओम यदुवंशी, रवि यदुवंशी, इंदल यादव, गुड्डू कुमार, चंदन कुमार, अभिजीत कुमार, लालू यादव समेत दर्जनों छात्र नेता मौजूद थे.
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