एक तरफ सरकार स्वच्छता अभियान को लेकर काफी संवेदनशील है लेकिन जहां कूड़े के गंध से सैकड़ो बच्चों के सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, जिसकी शिकायत के बावजूद पदाधिकारी अनसुना कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.
वहीं जानकार बताते हैं कि लम्बे समय से स्कूल के प्रवेश द्वार पर आसपास के लोग घर के कूड़ा कचरा फेंकते थे, स्कूल के शिक्षक इसे झेल रहे थे. धीरे-धीरे यह समस्या तब बड़ी हो गयी जब आसपास के होटलों से निकलने वाले सड़े गले खाना को सफाई कर्मी बजाप्ता बाल्टी में भर कर स्कूल के प्रवेश द्वार पर डम्प करने लगे. सड़े गले खाने से उठते गंध से स्कूल के बच्चे, शिक्षक, आसपास के वाशिंदे और राहगीर काफी परेशान हैं. कहा जाता है कि सफाई कर्मी को होटल से उक्त गंदगी फेंकने के एवज में होटल मालिक से नजराना मिलता है.
कचरा को डम्प करने और उससे उठते दुर्गंध से परेशान बच्चे और शिक्षक में भारी आक्रोश है जो किसी भी समय सड़क पर उतरने का मन बना रहे हैं. मजे की बात यह है कि होटल से लाये गंदगी को स्कूल के पास फेंकने पर सफाई कर्मी का तर्क है कि नगर परिषद के कूड़ा फेंकने वाले ट्रेक्टर आकर ले जाते हैं. समय रहते अगर नगर परिषद के अधिकारी इस समस्या पर रोक नहीं लगाते हैं तो स्कूल के बच्चे का किसी बड़ी बीमारी के चपेट में आने से इंकार नहीं किया जा सकता है.
स्कूल के प्रवेश द्वार पर जमा कूड़े के ढेड़ से परेशान स्कूल की प्राचार्या लता कुमारी बताती हैं कि कूड़े से उठते दुर्गंध से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. दुर्गंध से परेशान स्कूल के शिक्षक क्लास जाने से कतराते हैं और नाक पर रूमाल लेकर पठन पाठन करने को विवश हैं. उन्होंने बताया कि इस समस्या से निजात पाने के लिए छः माह पहले कई बार नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी से मिलकर लिखित और मौखिक जानकारी दी लेकिन आज तक इस समस्या से निजात नहीं मिल सका.
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