मुद्दे की बात: कब मिलेगी मरीजों को ट्रामा सेंटर की सुविधा, बचेगी गम्भीर मरीजों की जान

एक ओर स्वास्थ्य विभाग मरीज को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए लगातार घोषणाएं एवं प्रयास कर रही है. वहीं दूसरी ओर मधेपुरा सदर अस्पताल में बिल्डिंग ही बिल्डिंग तैयार कर विभाग बनाया जा रहा है. वहीं सदर अस्पताल में निवर्तमान ट्रामा सेंटर का काम 15 फीसदी ही हुआ है. आखिरकार कब तक मरीजों को ट्रामा सेंटर की सुविधा मिल पाएगी. कुछ मरीजों का कहना है कि ट्रामा सेंटर बना दिया गया है तो उसे जल्द से जल्द चालू भी करनी चाहिए. क्योंकि बाहर निजी क्लीनिक पर जमकर पैसे की उगाही होती है. मालूम हो कि सदर अस्पताल में ट्रामा सेंटर का निर्माण कार्य लगभग पूरा होने वाला है. इसके निर्माण के लिए निर्माण कार्य में लगी कंपनी के द्वारा कार्य अंतिम चरण में है. 

चार मंजिल का बनना है ट्रामा सेंटर 15 फीसद काम पूरा हो चुका है

ट्रामा सेंटर के निर्माण के लिए चार करोड़ 44 लाख 95 हजार 643 रुपया बिहार चिकित्सा सेवाएं व आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड को जिले के आला अधिकारी निर्गत कर चुके हैं. चार मंजिल का बनना है ट्रामा सेंटर, 15 फीसद काम पूरा हो चुका है. बाकी बचे कार्य कब तक पूरा होगा इसके लिए मरीज आँख पसारे हैं. इस ट्रामा सेंटर के बनने के बाद दुर्घटना में घायल होने वाले मरीजों के त्वरित उपचार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा. जिले के सदर अस्पताल से प्राथमिक उपचार कर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. ऐसे रोगियों की संख्या प्रतिदिन सिर्फ सदर अस्पताल में ही लगभग आधे दर्जन होती है. जबकि इससे भी ज्यादा संख्या निजी चिकित्सा संस्थानों में होती है, जहां से रोगियों को प्राथमिक उपचार कर हायर सेंटर भेज दिया जाता है. अगर ट्रामा सेंटर को सुचारू रूप से चालू कर दिया जाए तो इससे मरीज अपने इलाज के लिए बेवजह कर्ज के बोझ तले दबने से बच सकते हैं. हालांकि इस पीड़ा से जिले के आला अधिकारी भी अच्छी तरह से वाकिफ हैं.

प्रत्येक वर्ष सैकड़ों लोगों की जाती है जान 

केवल सरकार के आंकड़ों के अनुसार कोसी प्रमंडल के तीनों जिले में प्रत्येक वर्ष 200 लोगों की जान तत्काल इलाज नहीं होने के कारण चली जाती है. इसमें खगड़िया व दरभंगा जिले के लोग भी शामिल हैं. जिले से सटा एनएच 106, 107 के अलावे स्कूल से गुजरने वाली फोर लेन सड़क के कारण यहां आए दिन छोटी बड़ी घटनाएं होती रहती है.

ट्रामा सेंटर खुलने से होगा फायदा

ट्रामा को हिंदी में आघात कहते हैं. किसी दुर्घटना में चोटिल को एक घंटे के अंदर यदि ट्रामा सेंटर पहुँचा दिया जाए तो विशेषज्ञ के अनुसार 60 से 70 प्रतिशत लोगों की जान बचाई जा सकती है. वर्ष 2017 में जिले के तत्कालीन डीएम मोहम्मद सोहेल ने राज्य सरकार द्वारा ट्रामा सेंटर खोलने की जानकारी दी गई थी. जिसके बाद प्राक्कलन तैयार कर स्वास्थ्य विभाग के जरिए विभाग को भेजा भी गया था लेकिन योजना अभी प्रशासनिक स्वीकृति का इंतजार कर रही है. इसके बाद मामला ठंढा पड़ गया. वहीं अब तक ट्रामा सेंटर का 15 फ़ीसदी काम ही पूरा हुआ है बाकी काम कब पूरा होगा इसके लिए मधेपुरा वासियों को आंख पसार कर बैठना पड़ेगा.

(नि. सं.)

मुद्दे की बात: कब मिलेगी मरीजों को ट्रामा सेंटर की सुविधा, बचेगी गम्भीर मरीजों की जान मुद्दे की बात: कब मिलेगी मरीजों को ट्रामा सेंटर की सुविधा, बचेगी गम्भीर मरीजों की जान Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 06, 2021 Rating: 5

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