मौके पर पीएम और सीएम के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. धरना का नेतृत्व कर रहे भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि कोरोना वायरस की भयावह स्थिति के लिए केंद्र व राज्य सरकार पूरी तरह जिम्मेवार है. उन्होंने कहा कि राज्य में चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है, गंभीर मरीजों के लिए सरकारी अस्पताल से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटिलेटर, पीपीई किट, आईसीयू, जीवन उपयोगी जरूरी दवाओं, एंबुलेंस आदि आवश्यक उपक्रमों की घोर किल्लत बनी हुई है. निजी अस्पतालों में मरीजों का शोषण बदस्तूर जारी है. रोज-रोज मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, बड़ी संख्या में इंसान काल के गाल में समा रहे हैं. गंगा नदी में सैकड़ों की संख्या में लाशें तैरती नजर आ रही है, समुचित तरीके से दाह संस्कार की भी व्यवस्था करने में सरकार विफल है.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों के विशेषज्ञ मिशीगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भ्रमर मुखर्जी का कहना है कि कोविड-19 में तो मौतों की वास्तविक संख्या सरकारी आंकड़ों से 5 गुना अधिक है. भाकपा नेता प्रभाकर ने कोरोना पीड़ितों को समुचित इलाज सुनिश्चित करने, सभी गांव में हेल्थ सब सेंटर, वैक्सीन सब सेंटर एवं सामुदायिक भोजनालय संचालित करने, आयकर से बाहर सभी परिवार को 7500 रुपया मासिक सहायता राशि एवं प्रति यूनिट 10 किलो अनाज मुहैया करने, बेरोजगारों को रोजगार या ₹6000 मासिक कोरोना भत्ता देने, कोरोना से मृतक के परिजनों को ₹400000 मुआवजा शीघ्र भुगतान करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का और गेहूं की खरीद करने, रासायनिक खादों एवं पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ाई गई कीमत वापस लेने, किसान ऋण एवं बिजली बिल माफ करने की मांग सरकार से की है. उन्होंने कहा कि हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
धरना में भाकपा नेता दिलीप कुमार, बंधु यादव, मोहन सिंह, इंजीनियर मोहम्मद चांद, अखिलेश प्रसाद सिंह, युवा नेता रूपेश कुमार, नवनीत कुमार, रोशन कुमार, मन्नू कुमार, लक्ष्मण ऋषिदेव, सोनू किशन, इंद्रदेव कुमार, धीरेंद्र कुमार आदि उपस्थित थे.

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