पीड़िता की माने तो घटना की सूचना श्रीनगर थाना में आवेदन देकर शिकायत की. पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए थाना के छोटा बाबू को घटनास्थल पर भेज कर मामले की जांच की.
पीडिता ने बताया कि पुलिस ने मामले को सत्य पाया लेकिन केस दर्ज करने के बजाय आवेदन को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
पीड़िता ने पुलिस पर आरोप लगाया कि घटना को अंजाम देने वाले आरोपी के साथ मिल कर केस दर्ज नहीं किया. पीडिता की माने तो वह घटना के बाद बार-बार थाने का चक्कर लगाते रहे. आखिरकार पुलिस ने गाली-गलौज और अभद्र व्यवहार कर थाने से भगा दिया. पीड़िता ने हार नहीं मानी, पुलिस के व्यवहार की शिकायत लेकर एसपी के ऑफिस 30 दिसम्बर को शिकायत दर्ज करने पहुंची तो एसपी साहब नहीं मिले तो एसपी ऑफिस में तैनात गार्ड यह कहकर आवेदन ले लिया कि साहब के आने पर दे देंगे. पीड़िता को आशा थी कि मेरे आवेदन पर एसपी मुझे न्याय दिलाएंगे लेकिन पांच दिन तक एसपी के गार्ड के दिये आवेदन पर कोई कार्रवाई नही होने पर पीड़िता ने एक बार फिर आवेदन लेकर एसपी के ऑफिस पहुँची.
वहीं पीडिता की माने तो हमलावरों ने बार-बार धमकी देते हुए पूरे परिवार की हत्या कर देने की बात कही, साथ ही पीडिता ने आरोप लगाया कि पुलिस का रवैया भी ठीक नहीं है. वे भी हम लोगों को किसी साजिश का शिकार बना सकते हैं.
मालूम हो कि गत दिन उदाकिशुगंज थाना के रामगंज खौड़ागंज में 30 नवंबर को अनील यादव को कुदाल से प्रहार कर हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने घटना के एक माह गुजरने के बाद भी आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. आखिरकार मृतक की विधवा ने पुलिस के कार्य शैली पर सवाल खड़ा करते हुए एसपी के समक्ष शिकायत की. एसपी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई का भरोसा दिया था.
पुलिस के मनमाने रवैये से पुलिस पर सवाल उठने लगा है कि क्या हर मामले में एसपी के यहां जाने के बाद ही मामला दर्ज या आरोपी की गिरफ्तारी होगी ? जबकि एसपी ने पद ग्रहण के समय पीड़ित को न्याय दिलाने की अपनी पहली प्राथमिकता देने की बात कही थी. वहीं पीडिता ने बताया कि एसपी ने कार्रवाई का भरोसा दिया है.
 Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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January 05, 2021
 
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