'अन्नदाता कहलाने वाले कृषक को मिले समाज में सम्मानजनक स्थान': किसान संसद की बैठक

संयुक्त कृषि भवन मधेपुरा में किसान संसद, मधेपुरा की बैठक किसान संसद के अध्यक्ष प्रगतिशील औषधीय किसान शंकर कुमार की अध्यक्षता में आज सम्पन्न हुई.

बैठक में कई प्रखंड से आये नेतृत्वकारी किसान सांसदों ने मौजूदा कृषि की 'दशा-दिशा' पर गहन विचार विमर्श किया. कृषि को कैसे लाभकारी व्यवसाय का रूप दिया जाय ताकि समाज में जो आर्थिक विषमता की खाई अत्यधिक गहरी होती जा रही है, उस खाई को कैसे कम किया जाय ताकि समरस समाज का निर्माण किया जा सके और आज इसकी भारी कमी महसूस हो रही है. सभी किसान सांसदों की एक ही चिंता थी कि अन्नदाता कहलाने वाले कृषक को समाज में सम्मानजनक स्थान मिलना चाहिए ताकि कृषि के प्रति आकर्षण बढ़ सकें तभी कृषि प्रधान देश कहलाने की सार्थकता साबित होगी.  

चर्चा की शुरुआत किसान संसद मधेपुरा के सचिव शंभु शरण भारतीय ने की. उन्होंने कहा कि देश कहा कि 'हिंदुस्तानी' कृषि को जब तक 'भारतीय खेती' का महत्व नही मिलेगा तब तक कृषि के लिए किए जाने वाले कोई भी कार्य अधूरा साबित होगा. आज कोई भी पढ़ा-लिखा आदमी अपने बाल -बच्चों को कृषि कार्य करने के लिए प्रेरित नहीं करता, इतना तक चलेगा लेकिन कोई किसान नहीं चाहता कि उसका बेटा पढ़ने लिखने के बाद कृषि कार्य करें. यह एक सोचनीय सवाल है जिसका हल किसान संसद मधेपुरा को खोजना है.

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए बिहारीगंज से आये किसान संसद रामदेव रमण ने जोर देकर कहा कि जब तक किसानों के उत्पादक उचित मूल्य निर्धारण नही होगा, तब तक कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा नहीं मिलेगा ओर तब तक कृषि को बनाना भाषणबाजी होगी. कृषक को जागरूक कर हम अपनी समस्याओं का वैचारिक समाधान कर सकते हैं.\

जब तक सभी प्रखंडों में सक्रिय पदाधिकारियो का चयन कर कार्य को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा तब तक कृषक को जागरूक कर पाना कठिन है और बगैर जागरूक किये कृषि को लाभकारी पेशा बनाना असम्भव है. यह बात पूर्व मुखिया एवं किसान संसद बालकिशोर यादव, मधेपुरा प्रखंड ने कहा.

कुमारखंड प्रखंड से किसान श्री से सम्मानित भोला यादव ने कहा कि किसानों की फसल की कीमत एवं फसल अवशेष की कीमत भी उचित मिले. कुमारखंड के ही किसान संसद पूर्व मुखिया राजेन्द्र यादव ने कहा कि कृषक जागरूकता के साथ-साथ कृषि को लाभकारी कैसे बनाया जाय क्योंकि यह घाटे का सौदा साबित हो चुका है. यह एक गंभीर समस्या है. कृषि है तो जीवन है- जीवन है तो सपना है. किसान सांसदों की राय को अहमियत देते हुए किसान संसद के अध्यक्ष शंकर कुमार ने निचोड़ दिया कि जब तक हम सभी किसान संसद अपने पवित्र उद्देश्य को लेकर किसानों के बीच नही जाएंगे, कृषि को लाभकारी बनाने की विधियों की चर्चा नही करेंगे तब तक न कृषक जागरूक होंगे और कृषि को लाभकारी एवं सम्मानजनक दर्जा देना सिर्फ विचार साबित होगा.

और अंत में महान शायर राहत इंदौरी को शृद्धाजंलि देते हुए उनके शेर को उन्नत किया गया. मजबूत और मकबूल शायर राहत इंदौरी के शेर के हवाले से सचिव शंभु शरण भारतीय ने मौजूदा दौर की विसंगतियों पर चोट किया, झूठों ने झूठों से कहा है सच बोलो. सरकारी ऐलान हुआ है सच बोलों. घर के अंदर झूठों की एक मंडी है. दरवाजे पर लिखा हुआ है सच बोलों. आज के बैठेंगे वक्त में जब अराजकता पर बोलना भी खतरे से खाली नहीं है राहत का शेर हमें आश्वस्त करता है, भरोसा दिलाता है कि "अगर खिलाफ है तो होने दे कोई जान थोड़ी है. ये सब धुंआ है कोई आसमान थोड़ी है. जो आज सहिबेमसन्द है -कत्ल नही होंगे. किरायेदार है जाति मकान थोड़े है. सभी खून है शामिल यहाँ कि मिट्टी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है." एक ऐसे समय में जब नींद बड़ी मुश्किल है- राहत का यह शेर राहत देता है-"कोई मौसम हो सुखदुख में गुजारा कौन करता है. परिंदों की तरह सब कुछ गंवारा कौन करता है? वजीरों की सिफारिश की तमन्ना हम नहीं रखते. मुझे मालूम है जर्रे को तारा कौन करता है?

बैठक की समाप्ति से पूर्व प्रस्ताव पास किये गये. सड़क बनाने के नाम पर फसल को बर्बाद करना पेड़-पौधों को नष्ट करना अपराध है इस पर रोक लगाते हुए क्षतिपूर्ति देना चाहिए. सदर प्रखंड के नजदीकी गांव में जल-जीवन हरयाली से लेकर मुख्यमंत्री सड़क निर्माण का मखौल उड़ाया जा रहा है जो उचित नहीं है. अंत में किसान संसद के अध्यक्ष शंकर कुमार ने बैठक की समाप्ति की घोषणा की. 
'अन्नदाता कहलाने वाले कृषक को मिले समाज में सम्मानजनक स्थान': किसान संसद की बैठक 'अन्नदाता कहलाने वाले कृषक को मिले समाज में सम्मानजनक स्थान': किसान संसद की बैठक Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 13, 2020 Rating: 5

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