कहर कुदरत का: वज्रपात से मौत: लॉकडॉउन से पहले दिल्ली में चलाते थे रिक्शा, गाँव आकर दूध बेचकर चला रहे थे परिवार
कुदरत के खेल भी बड़े अजीब होते हैं. कोरोना संकट से पहले यह शख्स दिल्ली में रहकर रिक्शा चलता था. जान बचाने घर आया और फिर न जाने का फैसला तो ले लिया पर होनी को कुछ और ही मंजूर था.
मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत जोरगामा पंचायत के मुरलीगंज में शम्भू मोदी, पिता -सुंदर मोदी, घर-जोरगामा, वार्ड-4 की मृत्यु वज्रपात से हो गयी है.
शंभू मोदी के पड़ोसी अवधेश कुमार जिला महासचिव जदयू मधेपुरा द्वारा उन्हें ट्रैक्टर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुरलीगंज लाया जहां मौके पर मौजूद डॉक्टर राजेश कुमार ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अवधेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि दोपहर बाद खाना पीना खाकर यह अपने भैंस को लेकर खलियान की ओर चलाने के लिए चले गए थे. 3:40 बजे वज्रपात से इनकी मृत्यु हो गई.
गौरतलब यह है लॉकडॉउन से पहले शंभू (उम्र करीब 44 वर्ष) दिल्ली में रहकर जीवन यापन के लिए रिक्शा चलाया करते थे. लॉक डाउन होने पर वापस गांव पहुंचकर पशुधन रखकर दूध बेच कर अपना जीवन यापन करते थे. यह अपने पीछे पत्नी सहित 4 बच्चों को छोड़कर चले गए जिनमें सबसे बड़ी लड़की चांदनी कुमारी (उम्र 16 साल), दूसरी पुत्री रुचि कुमारी (उम्र 13 साल), पुत्र सूरज कुमार उम्र (10 साल), विक्की कुमार (8 वर्ष) हैं. दैनिक मजदूरी करके जीवन यापन करने वाले शंभू मोदी की पत्नी का रो रो कर बुरा हाल था और बच्चों के भविष्य के लिए बार बार बार चिल्ला रही थी।
मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत जोरगामा पंचायत के मुरलीगंज में शम्भू मोदी, पिता -सुंदर मोदी, घर-जोरगामा, वार्ड-4 की मृत्यु वज्रपात से हो गयी है.
शंभू मोदी के पड़ोसी अवधेश कुमार जिला महासचिव जदयू मधेपुरा द्वारा उन्हें ट्रैक्टर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुरलीगंज लाया जहां मौके पर मौजूद डॉक्टर राजेश कुमार ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अवधेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि दोपहर बाद खाना पीना खाकर यह अपने भैंस को लेकर खलियान की ओर चलाने के लिए चले गए थे. 3:40 बजे वज्रपात से इनकी मृत्यु हो गई.
गौरतलब यह है लॉकडॉउन से पहले शंभू (उम्र करीब 44 वर्ष) दिल्ली में रहकर जीवन यापन के लिए रिक्शा चलाया करते थे. लॉक डाउन होने पर वापस गांव पहुंचकर पशुधन रखकर दूध बेच कर अपना जीवन यापन करते थे. यह अपने पीछे पत्नी सहित 4 बच्चों को छोड़कर चले गए जिनमें सबसे बड़ी लड़की चांदनी कुमारी (उम्र 16 साल), दूसरी पुत्री रुचि कुमारी (उम्र 13 साल), पुत्र सूरज कुमार उम्र (10 साल), विक्की कुमार (8 वर्ष) हैं. दैनिक मजदूरी करके जीवन यापन करने वाले शंभू मोदी की पत्नी का रो रो कर बुरा हाल था और बच्चों के भविष्य के लिए बार बार बार चिल्ला रही थी।
कहर कुदरत का: वज्रपात से मौत: लॉकडॉउन से पहले दिल्ली में चलाते थे रिक्शा, गाँव आकर दूध बेचकर चला रहे थे परिवार 
 Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
        on 
        
July 02, 2020
 
        Rating:
 
        Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
        on 
        
July 02, 2020
 
        Rating: 
       Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
        on 
        
July 02, 2020
 
        Rating:
 
        Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
        on 
        
July 02, 2020
 
        Rating: 
 
 


 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
.jpeg) 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
No comments: