मधेपुरा जिले के मुरलीगंज के पी महाविद्यालय में आज दिन के 12:00 बजे एनएसएस इकाई द्वारा 8 मार्च 2020 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पूरे महाविद्यालय परिवार की ओर से एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राजीव कुमार मल्लिक की अध्यक्षता में मनाया गया.
कॉलेज के छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को संबोधित करते हुए 8 मार्च को दुनिया भर में सेलीब्रेट किए जाने वाले महिला दिवस को महिला सशक्तिकरण के सबसे अहम दिन के तौर पर याद किया जाता है। यह दिन महिलाओं द्वारा घर और समाज के प्रति किए गए त्याग, बलिदान को याद दिलाता है। साथ ही उनके प्रेम और समाज में उनके महत्व को याद करने का सबसे खास दिन है। महिलाएं घर और बच्चे संभालें या सेना में कमांडर बनकर युद्ध लड़ें या फिर मल्टीनेशनल कंपनी की टॉप लीडर बनकर सबसे बड़े फैसले लें, नारी हर वो काम कर सकती है, जो पुरुष करते हैं। कई बार महिलाएं पुरुषों से आगे बढ़कर काम करने की अपनी सुपर पॉवर सबको दिखा चुकी हैं। हर काम में उनके महत्व को बरसों तक इग्नोर किया गया, लेकिन अब दुनिया उनको आगे बढ़कर महत्व दे रही है।
वही मौके पर एनएसएस पदाधिकारी डॉ अमरेंद्र ने कहा कि किसी ज़माने में अबला समझी जाने वाली नारी को मात्र भोग एवं संतान उत्पत्ति का जरिया समझा जाता था। जिन औरतों को घरेलू कार्यों में समेट दिया गया था, वह अपनी इस चारदीवारी को तोड़कर बाहर निकली है और अपना दायित्व स्फूर्ति से निभाते हुए सबको हैरान कर दिया है। इक्कीसवीं सदी नारी के जीवन में सुखद संभावनाएँ लेकर आई है। नारी अपनी शक्ति को पहचानने लगी है वह अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हुई है।
इस अवसर पर सभी छात्र छात्राएं शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी के अलावा शिक्षक गण डॉ महेंद्र मंडल, डॉ सदय कुमार, डॉ शालू पंसारी, डाॅ शिवा शर्मा, डॉ अमरेंद्र कुमार, डॉ प्रीति कुमारी, डॉ किरण कुमारी, डॉ संजय कुमार, डॉ रितु रत्नम, डाॅ सिकंदर कुमार, अरुण कुमार, डॉ संजय कुमार, राजेश कुमार प्रधान सहायक, नीरज कुमार निराला, महेंद्र यादव, गजेंद्र दास, महेश सिन्टु, नीरज कुमार आदि उपस्थित थे.
कॉलेज के छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को संबोधित करते हुए 8 मार्च को दुनिया भर में सेलीब्रेट किए जाने वाले महिला दिवस को महिला सशक्तिकरण के सबसे अहम दिन के तौर पर याद किया जाता है। यह दिन महिलाओं द्वारा घर और समाज के प्रति किए गए त्याग, बलिदान को याद दिलाता है। साथ ही उनके प्रेम और समाज में उनके महत्व को याद करने का सबसे खास दिन है। महिलाएं घर और बच्चे संभालें या सेना में कमांडर बनकर युद्ध लड़ें या फिर मल्टीनेशनल कंपनी की टॉप लीडर बनकर सबसे बड़े फैसले लें, नारी हर वो काम कर सकती है, जो पुरुष करते हैं। कई बार महिलाएं पुरुषों से आगे बढ़कर काम करने की अपनी सुपर पॉवर सबको दिखा चुकी हैं। हर काम में उनके महत्व को बरसों तक इग्नोर किया गया, लेकिन अब दुनिया उनको आगे बढ़कर महत्व दे रही है।
वही मौके पर एनएसएस पदाधिकारी डॉ अमरेंद्र ने कहा कि किसी ज़माने में अबला समझी जाने वाली नारी को मात्र भोग एवं संतान उत्पत्ति का जरिया समझा जाता था। जिन औरतों को घरेलू कार्यों में समेट दिया गया था, वह अपनी इस चारदीवारी को तोड़कर बाहर निकली है और अपना दायित्व स्फूर्ति से निभाते हुए सबको हैरान कर दिया है। इक्कीसवीं सदी नारी के जीवन में सुखद संभावनाएँ लेकर आई है। नारी अपनी शक्ति को पहचानने लगी है वह अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हुई है।
इस अवसर पर सभी छात्र छात्राएं शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी के अलावा शिक्षक गण डॉ महेंद्र मंडल, डॉ सदय कुमार, डॉ शालू पंसारी, डाॅ शिवा शर्मा, डॉ अमरेंद्र कुमार, डॉ प्रीति कुमारी, डॉ किरण कुमारी, डॉ संजय कुमार, डॉ रितु रत्नम, डाॅ सिकंदर कुमार, अरुण कुमार, डॉ संजय कुमार, राजेश कुमार प्रधान सहायक, नीरज कुमार निराला, महेंद्र यादव, गजेंद्र दास, महेश सिन्टु, नीरज कुमार आदि उपस्थित थे.
के पी महाविद्यालय में महिला दिवस पर एनएसएस द्वारा संगोष्ठी आयोजित
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 08, 2020
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