स्पेशल रिपोर्ट: मिलन अभी आधा-अधूरा है....

करीब 17 साल के बाद बेटे के न सिर्फ जिन्दा होने की खबर मिलना बल्कि उसकी आवाज सुनने के बाद माँ का रोना तो रूक नहीं पा रहा है और पिता की आँखों के सामने से भी बेटे लालो के बचपन की यादें एक-एक कर गुजर रही है. टोले में अभी सिर्फ यही चर्चा है कि करीब 17 साल पहले गुम हुआ बद्री बाबू का बेटा लालो जिन्दा है और अब मधेपुरा आएगा.


दरअसल आज ऑफिस जाने से पहले सुबह एक फोन अटैंड करने बाद मन में ये उम्मीद जाग उठी थी कि ये काम तो कर ही लूँगा. फोन के सॉफ्टवेयर से पता चला कि फोन किसी अरूण का है जो गुजरात से है. अगले की मायूस आवाज आई कि सर, ये मधेपुरा का नंबर है? हाँ कहने पर उसने कहा कि मैं अरूण गुजरात से बोल रहा हूँ और ये नंबर मुझे किसी कस्टमर केयर से मिला जब मैनें मधेपुरा के किसी जर्नलिस्ट का नंबर माँगा. मेरे साथ कुछ समस्या है. मैंने उसे खुल कर कहने को कहा और फिर रूआंसी आवाज में उसने जो कहानी सुनाई उस पर मुझे तुरंत ही भरोसा हो गया और कहा कि बस शाम का इन्तजार करो, मैं कुछ करता हूँ.

मधेपुरा के बद्री प्रसाद यादव और मैना देवी का पुत्र अरूण उर्फ़ लालो करीब 17 साल पहले से गुम था. अरूण ने बताया कि बचपन में पिता ने उसे डांटा और वह घर से भाग गया. उसे ठीक से पता नहीं और वह गुजरात पहुँच गया, जहाँ अभी वह अच्छी जिन्दगी बसर तो कर रहा है पर स्मृति से मानो बचपन की सारी यादें धूमिल हो गई हैं. अरूण से तुरंत ही मैंने कई जानकारियाँ इकट्ठी की. घर के आसपास का लोकेशन, माँ का नाम, ननिहाल आदि. अरूण का घर मानिकपुर और ननिहाल साहुगढ़ था. कोर्ट में मैंने साहुगढ़ के अधिवक्ता लिपिक गजेन्द्र यादव जी को बुलाया और अरूण के नाना त्रिवेणी प्रसाद यादव का घर ढूँढने का आग्रह किया. मानिकपुर में अरूण का घर खोजने के लिए भी कुछ लोगों से बात करनी शुरू की.

शाम में साहुगढ़ से एक महिला का फोन का फोन आता है जो बताती हैं कि उन्हें गजेन्द्र जी ने आपका नंबर देकर बात करने को कहा है. महिला के पिता का नाम तो त्रिवेणी प्रसाद यादव है पर उनकी शादी मानिकपुर नहीं है. मैंने उनसे इस मामले में मदद करने को कहा तो उन्हें भी इस काम में भागीदारी पर बेहद ख़ुशी हुई और उन्होंने कहा कि साहुगढ़ में 26 टोले हैं पर भगवानपुर में भी पापा के नाम का एक आदमी है, मैं पता करके आपको बताती हूँ. उन्होंने कहा कि मानिकपुर में भी मेरे सम्बन्धी हैं, मैं वहाँ भी पता करती हूँ. इस बीच अरूण का फोन फिर आता है तो मैं उससे आधे घंटे का समय ले लेता हूँ.

पर कुछ ही देर के बाद आये एक फोन कॉल ने सारे सस्पेंस को ख़त्म कर दिया. मानिकपुर के शशिभूषण बाबू का फोन था अरूण के घर पर पहुँच कर मुझसे बात कर रहे थे. बताया कि साहुगढ़ से फोन आया था कि बद्री बाबू का बेटा लालो से आपकी बात हुई है. बताये कि लालो के माता-पिता यहाँ बैठे हैं और अरूण से बात करना चाहते हैं, उसका नंबर दीजिये. कहा कि बचपन से गायब था बेटा, उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि बेटा जिन्दा है. मैनें अरूण का नंबर दिया और फिर अरूण को कॉल कर बताया कि अभी तुम्हारे माँ-पिता तुमसे बात करेंगे. अरूण उस समय काम से गाड़ी से लौट रहा था. ख़ुशी और उत्तेजना से मानो उसकी आवाज बंद हो गई. मैंने कहा गाड़ी कहीं साइड में लगा लो. इतने में उसने कहा कि किसी 62 वाले नंबर से फोन आ रहा है. मैंने कहा अब वो क्षण तुम्हारे सामने है.

दस मिनट के बाद शशि बाबू का कॉल आता है कि फोन पर खूब रो रहे हैं घर के सारे लोग. अत्यधिक ख़ुशी में भी लोग फूट पड़ते हैं. आधे घंटे के बाद अरूण का कॉल आता है, 'सर, एक बार बात हुई माँ और पापा से. अभी घर पहुंचा हूँ तो सबसे पहले आपको थैंक यू कहने के लिए कॉल कर रहा हूँ. पापा कल की ट्रेन पकड़ कर सूरत आ रहे हैं. अभी वीडियो कॉल से घर पर सबको देखूँगा. सर, अभी तो बहुत अच्छा हूँ, पर बहुत कष्ट में जिन्दगी गुजरी है. बीते सालों की कहानी और बाढ़ के समय आना, पर घर नहीं पहुँच पाना समेत कई दिनों से बेचैन रहने की कहानी सुनाते बताया कि कचरा में से खाना चुन कर खाया हूँ. यहाँ नाम बदल गया, जाति भी और सब कुछ...आपका अहसान.....' बस!' मैंने रोक दिया. 'तुम वही लालो हो, अपनी माँ का दुलारा और पिता की शान. नाम और जाति सारे फर्जी होते हैं. इंसानियत सबसे ऊपर....

कुछ देर में एक कॉल फिर आता है. सर मैं लालो का जीजा जी. शंकर....
'अब तो आपको मिठाई लग जायेगी.' मैंने कहा.
'सर बड़का भोज देंगे और आप चीफ गेस्ट, आपको मानिकपुर आना पड़ेगा.'


(स्टोरी मधेपुरा टाइम्स के संस्थापक राकेश सिंह के फेसबुक वाल से साभार)
स्पेशल रिपोर्ट: मिलन अभी आधा-अधूरा है.... स्पेशल रिपोर्ट: मिलन अभी आधा-अधूरा है.... Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 03, 2020 Rating: 5

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