आकृति झा. “यथा नाम तथा गुण” ये मुहावरा ‘आकृति के संबंध में चरितार्थ होता है। अपने नाम के अनुरूप कैनवस पर इनके हाथों खींची आकृति बड़ी जीवंत दिखती है।




उपरोक्त बातें आकृति झा के बारे में कही जा रही हैं जिनके हाथों बने पेंटिंग की सराहना करते लोग नहीं थकते।
आजकल ये अपनी पेंटिग्स के कारण सोशल मीडिया पर चर्चा में हैं। डिजिटल मीडिया पर अपनी पेंटिंग से पहचान बना चुकी आकृति की पेंटिंग्स को पहली बार सार्वजनिक रूप से लोगों ने कोशी फिल्म फेस्टीवल की प्रदर्शनी में देखा और जाना।
फौज से सेवानिवृत्त गरौल (बिहरा, सहरसा) निवासी श्री प्रवीण झा की सुपुत्री आकृति बचपन से ही रचनात्मक है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा हिसार, हरियाणा से हुई। स्कूल के दिनों से ही पढ़ाई के अलावा पेंटिंग और लोकनृत्य में इनकी रूचि रही है।
तीन भाई बहनों में सबसे छोटी रहने के कारण इनके पेंटिंग के शौक को सबने प्रोत्साहित किया। इनकी माँ श्रीमति रेखा झा बहुआयामी प्रतिभा की धनी हैं। श्रीमति झा को आर्ट & क्राफ्ट, गीत-संगीत, नृत्य व अभिनय इत्यादि से बेहद लगाव है। अपने पति के सेवाकाल में इंडियन आर्मी कैंप अंतर्गत आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ये बढ़-चढ़ के हिस्सा लेती थीं और अनेकों बार पुरस्कृत भी हो चुकी हैं। इनके बड़े भाई शुभम आनंद भी संगीत में रूचि रखते हैं और एक बेहतरीन गिटार प्लेयर हैं।
अपनी बड़ी बहन श्रीमति मोनालिसा झा ठाकुर का जिक़्र करते हुए आकृति बताती हैं कि ये अपने पढ़ाई के दिनों में NSS (National Service Scheme) की गतिविधियों में बढ़-चढ़ के हिस्सा लेती थीं। श्रीमति झा ठाकुर ने सन् 2015 गणतंत्र दिवस परेड में भी हिस्सा लिया है और राजपथ पर अपने प्रतिभा का कौशल दिखाकर अपने परिवार को गौरवान्वित किया है। भारत के तात्कालीन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ मोनालिसा की तस्वीर इनके घर में आज भी टंगी हुई है जिसे देखकर आकृति कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित होती हैं।
फिलहाल आकृति दूरस्थ शिक्षा से बैचलर ऑफ फाइन आर्ट कर रही हैं। रोजमर्रा के दैनिक कार्यों में अपनी माँ का हाथ बंटाते हुए ये अपने पेंटिंग के अभ्यास में लीन हैं। मधेपुरा टाइम्स परिवार इनके सुखमय भविष्य हेतु शुभकामना देती है।




उपरोक्त बातें आकृति झा के बारे में कही जा रही हैं जिनके हाथों बने पेंटिंग की सराहना करते लोग नहीं थकते।
आजकल ये अपनी पेंटिग्स के कारण सोशल मीडिया पर चर्चा में हैं। डिजिटल मीडिया पर अपनी पेंटिंग से पहचान बना चुकी आकृति की पेंटिंग्स को पहली बार सार्वजनिक रूप से लोगों ने कोशी फिल्म फेस्टीवल की प्रदर्शनी में देखा और जाना।
फौज से सेवानिवृत्त गरौल (बिहरा, सहरसा) निवासी श्री प्रवीण झा की सुपुत्री आकृति बचपन से ही रचनात्मक है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा हिसार, हरियाणा से हुई। स्कूल के दिनों से ही पढ़ाई के अलावा पेंटिंग और लोकनृत्य में इनकी रूचि रही है।
तीन भाई बहनों में सबसे छोटी रहने के कारण इनके पेंटिंग के शौक को सबने प्रोत्साहित किया। इनकी माँ श्रीमति रेखा झा बहुआयामी प्रतिभा की धनी हैं। श्रीमति झा को आर्ट & क्राफ्ट, गीत-संगीत, नृत्य व अभिनय इत्यादि से बेहद लगाव है। अपने पति के सेवाकाल में इंडियन आर्मी कैंप अंतर्गत आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ये बढ़-चढ़ के हिस्सा लेती थीं और अनेकों बार पुरस्कृत भी हो चुकी हैं। इनके बड़े भाई शुभम आनंद भी संगीत में रूचि रखते हैं और एक बेहतरीन गिटार प्लेयर हैं।

फिलहाल आकृति दूरस्थ शिक्षा से बैचलर ऑफ फाइन आर्ट कर रही हैं। रोजमर्रा के दैनिक कार्यों में अपनी माँ का हाथ बंटाते हुए ये अपने पेंटिंग के अभ्यास में लीन हैं। मधेपुरा टाइम्स परिवार इनके सुखमय भविष्य हेतु शुभकामना देती है।
SUNDAY SPECIAL: आकृति झा: बेहद उम्दा और जीवंत पेंटिंग के कारण चर्चा में है रिटायर्ड फौजी की बेटी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 17, 2019
Rating:

बधाई आकृति झा को व आभार मधेपुरा टाइम्स ����
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