जब पति की बेवफाई से जीना दूभर हो जाय तो ‘नई राह’ से होगी मुश्किलें आसान (फिल्म समीक्षा)

विवाहेत्तर सम्बन्ध से होने वाली समस्या और परिवार का बिखराव कोई नहीं बात नहीं है. खास कर पति का किसी अन्य महिला से सम्बन्ध कई घरों की नींव हिला रहा है और पुरुष प्रधान समाज में औरतों की बेबसी अक्सर उनकी जिन्दगी को दोराहे पर लाकर खड़े कर देता है.


कल्पना कीजिए, जब सुखी जीवन के हजारों सपने संजोये कोई लड़की अपना घर-बार छोड़कर पति के घर को अपना कहती है और पति का उग्र और अय्यास स्वभाव और बेवफाई सामने आ जाती है. कुछ ऐसा ही होता है महक के साथ, जब वह अपने निकम्मे पति राजेश के भरोसे अपने बच्चे और खुद का भविष्य छोड़ना उचित नहीं समझा और एक छोटी सी नौकरी कर घर चलाने लगी. फिर भी पति का दुर्व्यवहार उसके साथ जारी रहा. हालांकि अचानक राजेश ने जब महक को एक कंपनी में अपनी नौकरी लगने की बात बताई तो महक को कुछ संतोष हुआ. पर महक के सारे सपने उस समय बिखरते लगे जब उसे अपने एक सम्बन्धी से जानकारी मिली कि राजेश नौकरी पर नहीं बल्कि एक गैर महिला से उसके नाजायज सम्बन्ध हैं और वह उसी के घर जाता है. महक जब पति को फोन कर पूछती है तो राजेश ने उसे सीधा और स्पष्ट जवाब दिया कि वह उस महिला से अपने नाजायज सम्बन्ध ख़त्म नहीं कर सकता. हालांकि महक को उसी समय एक ठाकुर का ऑफर मिलता है पर ठाकुर के अय्यास तेवर ने महक को एक ऐसे तिराहे पर लाकर खड़ा कर दिया जहाँ अपने छोटे बच्चे और खुद की जिन्दगी से सम्बंधित उसके पास अब एक बड़ा और अंतिम फैसला लेने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा था.

और फिर इस स्थिति ने महक ने ‘नई राह’ चुनी. ये नई राह थी एक बड़ा फैसला, जिसमें वह बच्चे को लेकर अकेले अपने दम पर कहीं और निकल जाती है.

दीपा राज की बेहतरीन शॉर्ट मूवी है ‘नई राह’

दरअसल ये पूरी कहानी एक छोटी सी फिल्म की है. ‘नई राह’ नाम की इस फिल्म की निर्माता और निर्देशक पटना की दीपा राज हैं जिन्होंने कम बजट की इस धारदार फिल्म को खुद के पैसे बचत कर बनाई है. सहरसा में हुए पहले कोशी फिल्म फेस्टिवल में जब इस फिल्म का प्रदर्शन हुआ तो अंत का इन्तजार कर रहे दर्शकों ने फिल्म की नायिका के इस कदम पर जम कर तालियाँ बजाई. फिल्म विशेष रूप से पुरस्कृत भी की गई. ये अपने समाज की कहानी थी जिसने दर्शकों के दिल को छूआ था.

कई लड़कियों की कहानी पर आधारित है महक का किरदार

निर्माण और निर्देशन के साथ-साथ फिल्म की स्क्रिप्ट राइटर दीपा राज मधेपुरा टाइम्स से बताती हैं कि नई राह की कहानी वास्तविक किरदारों पर आधारित है. राजेश और ठाकुर दोनों किरदार मेरी नज़रों के सामने हैं. महक के किरदार को मैने कई लड़कियों की आपबीती सुनकर लिखा था. फिल्म में दिखाई गई घटनाएँ  सच्ची हैं. फिल्म में दिखाए एक दृश्य गोलगप्पे वाली घटना की तो मैं चश्मदीद  गवाह हूँ.

दीपा राज कहती है राजेश के किरदार का मैं कई सालों से अध्ययन कर रही हूँ, मेरे पड़ोस में ही है. अब समाज की ढेर सारी महक मुझसे अपनी बातें शेयर करतीं हैं. फिल्म में बेहतरीन  एक्टिंग विक्रांत चौहान, सौरभ सिंह और नताशा ने किया है, जो दीपा राज के मित्र भी हैं. फिल्म की शूटिंग आश्रय ओल्ड एज होम, पाटलिपुत्र पटना में ओल्ड एज के संस्थापक ई. अशोक श्रीवास्तव के सयोग से की गई है, जहाँ ये भी अपना सहयोग देती हैं.

समाज में बिखरे हैं इन्द्रधनुषी रंग और इन रंगों को रूपहले पर्दे पर उतारना मेरा मकसद.
(नई राह का ट्रेलर, वीडियो पर क्लिक करें)

खुद के बारे में दीपा राज बताती हैं कि फिल्में बनाना मेरा पैशन है. लोगों के मनोभावों का अध्ययन मेरी हॉबी है. चूंकि फिल्में समाज का आईना हैं और समाज में इन्द्रधनुषी रंग बिखरे हैं और इन रंगों को रूपहले पर्दे पर उतारना मेरा मकसद. लोग कहते हैं कि मैं कम बोलती हूँ पर मुझे लगता है मैं अपने-आप से ज्यादा बातें करती हूँ. आपने आस-पास जो कुछ भी देखती हूँ  उसके बारे में चिंतन करती हूँ. हर तरह की भावनाओं  और मनोभावों को महसूस करने की कोशिश करती हूँ. परिवार और दोस्तों का भरपूर सहयोग रहता है. दीपा बचपन को याद करते कहती है कि बचपन में जब टीवी देखने के लिए झगड़ा होता था तो माँ कहती थी इसे टीवी देखने दो इसे फिल्म डायरेक्टर बनना है.

तय है, आने वाले समय में समाज के कई पहलूओं पर दीपा राज की और बेहतरीन फ़िल्में आपको मिल सकती हैं जो समाज को बेहतर सन्देश देने का काम करेंगी.
(Report: R.K. Singh)
जब पति की बेवफाई से जीना दूभर हो जाय तो ‘नई राह’ से होगी मुश्किलें आसान (फिल्म समीक्षा) जब पति की बेवफाई से जीना दूभर हो जाय तो ‘नई राह’ से होगी मुश्किलें आसान (फिल्म समीक्षा) Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 11, 2018 Rating: 5

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