ओडीएफ की हकीकत: हाथों में डिब्बे और घोषित हो रहे पंचायत खुले में शौच मुक्त

प्रदेश की सरकार गांवों को खुले से शौच मुक्त ओडीएफ बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है। सरकार समय-समय पर समाज से इस बीमारी को दूर करने का प्रयास अभियान चलाकर कर रही है। पर गावों को खुले से शौच से मुक्त करने का प्रशासन का दावा महज कागजों तक ही सिमट कर रह गया है। 


पंचायत अधिकारी और जनप्रतिनिधियो की आपसी मिलीभगत से विभागीय अधिकारी महज वाहवाही लूटने के लिए मनगढ़ंत आंकड़ों से गांवों को ओडीएफ करवाने वाले प्रशासन की कारगुजारी मुख्यालय सहित कई मुख्य सड़क किनारे आज भी त्यागे गये शौच को देखकर सामने दिखायी देती है, आज भी जागरूकता के अभाव में लोग खुले में शौच के लिए जा रहे है।

मधेपुरा जिले के पुरैनी प्रखंड के मुख्यालय पंचायत अन्तर्गत मुख्य सड़क के दोनों किनारे आज भी महिला पुरुष खुले में शौच करते है। प्रखंड के लगभग सभी पंचायत को खुले में शौच मुक्त बनाने को लेकर वार्डवार ओडीएफ घोषित किया जा रहा है लेकिन ग्रामीण खुले में शौच अभी करते है। स्थानीय प्रशासन किस आधार पर कैसे खुले में शौच मुक्त का सर्टिफिकेट बांट रही समझ से परे है जबकि लोग तो अभी भी सड़क किनारे व खेत में शौच करते हैं।

दुर्गंध से हो रही परेशानी : पुरैनी मुख्यालय के डुमरैल चौक से पुरानी बस स्टैण्ड एवं अखारा चौक से अम्बेदकर चौक एवं गणेशपुर रामटोला से डुमरैल जाने वाली सड़क सहित कई गांवों के सड़क के दोनो किनारे खुले में शौच करने से गंदगी फैलने लगी है. जिससे लोगों को आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि कुछ माह पूर्व प्रचार प्रसार जब व्यापक तौर पर हो रही थी तो सड़कों पर शौच होने मे कमी आयी थी. लेकिन एक बार फिर खुले में सड़कों पर शौच होने लगा है. सड़कों पर शौच किये जाने से निकलने वाली दुर्गंध से आने जाने वाले राहगीरों सहित मार्निंग वाक मे टहलने वाले लोगो को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. लोगों को नाक पर रूमाल रख कर या नाक बंद से उस पथ से गुजरना पड़ रहा है. इससे संक्रामक बीमारी फैलने की भी आशंका पैदा होने लगी है.

जागरूकता का है अभी भी अभाव: जानकार लोगों का कहना है कि इस अभियान के पहले चलाये गये जागरूकता अभियान व निगरानी समिति के सदस्यों द्वारा सड़कों पर निगरानी किये जाने के बाद से सड़कों पर शौच नहीं दिख रहा था. लेकिन इन दिनों फिर से सड़कों पर शौच दिखने लगा है. इस मामले में जानकार लोगों का कहना है कि आज भी जागरूकता की कमी है मुख्यालय के कई सड़क के दोनो किनारे खुले मे शौच त्याग किया जा रहा है प्रशासनिक स्तर से उक्त जगहो पर एक बार पुनः पहल की जरूरत है. 

क्या कहते हैं बीडीओ: इस संबंध में बीडीओ बिरेन्द्र कुमार ने बताया कि अगर ऐसी बात है तो निगरानी समिति का गठन कर चौपाल लगाकर जागरूक करने का निर्देश दिया गया है. प्रेरकों को लगातार निर्देश दिया जा रहा है कि सुबह शाम फॉलोअप कराया जाये. लोगों को खुले में शौच नहीं करने उसके लाभ व हानि के बारे में बताएं. लोग शौचालय का निर्माण करा कर उसका उपयोग करें और प्रोत्साहन राशि का लाभ उठाएं.

ओडीएफ की हकीकत: हाथों में डिब्बे और घोषित हो रहे पंचायत खुले में शौच मुक्त ओडीएफ की हकीकत: हाथों में डिब्बे और घोषित हो रहे पंचायत खुले में शौच मुक्त Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 22, 2018 Rating: 5

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