मुजफ्फरपुर बालिका
गृह यौन शोषण मामले के उजागर होने के बाद अब समाज कल्याण विभाग पूरे तैश में आ
चुकी है और ताबड़तोड़ अपने बाल संरक्षण पदाधिकारियों को निलंबित करने लगी है ।
इसी
आंच में मधेपुरा में अभी सात दिन पूर्व पदस्थापित हुए बाल संरक्षण पदाधिकारी संगीत
कुमार ठाकुर भी आ गए हैं और उन्हें विभाग ने निलंबित कर दिया है ।
श्री ठाकुर पर आरोप
है कि उन्होंने मधुबनी में बाल संरक्षण पदाधिकारी रहते हुए वहां बालिका गृह में
बच्चियों पर जारी अत्याचार को जानते हुए भी कभी उच्चाधिकारियों को अवगत नही कराया
जिससे सरकार की फजीहत हुई है।
लेकिन इस बावत बाल
संरक्षण पदाधिकारी श्री ठाकुर कहते हैं कि वे अपने निलंबन पत्र को देख कर हतप्रभ
हैं। वे कहते हैं कि मैं वहां बाल संरक्षण पदाधिकारी (संस्थागत) के पद पर नही
बल्कि गैर संस्थागत बाल संरक्षण पदाधिकारी था। बालिका गृह मेरे अधीनस्थ था भी नही।
वहां मैंने दत्तक ग्रहण केंद्र में व्याप्त गड़बड़ियों को दूर करवाया और इस बावत
अपने उच्चाधिकारियों को अवगत कराता रहा । मुझपर लगाए गए आरोप कहीं नही टिक पाएंगे
।
सूत्रों से प्राप्त
जानकारी के अनुसार समाज कल्याण विभाग की सभी संस्थाएं विभिन्न स्वैच्छिक संस्थाओं
को संचालित करने दिया गया है। इन संस्थाओं को इसके लिए निर्धारित फंड दिया जाता है
और इन संस्थाओं को इसके लिए निर्धारित मापदंड की सुविधाएं वहां रह रहे बच्चों या
बालिकाओं को उपलब्ध कराना होता है। लेकिन कतिपय संस्थाएं अपने रसूख के कारण मनमानी
करती है और न सिर्फ शोषण अत्याचार बल्कि निर्धारित खान पान और कर्मियों के
निर्धारित वेतन या मानदेय में भी कटौती करती है। इन संस्थाओं का चुनाव भी मुख्यालय
स्तर से ही होता है। लिहाजा पारदर्शिता का अभाव होता है और स्थानीय लोगों को इन
संस्थाओं से दूर ही रखा जाता है। इसी स्थिति का लाभ उठाकर संचालक हैवानियत भी करते
रहे हैं ।
मुजफ्फरपुर कांड की आंच पहुंची मधेपुरा, बाल संरक्षण पदाधिकारी हुए सस्पेंड
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 06, 2018
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