जीवन की निरंतरता के लिए प्रजनन जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय परंपरा में संतानोत्पत्ति को मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण कर्तव्य माना गया है। संतानोत्पत्ति के बाद ही हम पितृॠण से मुक्त हो सकते हैं।
यह बात बीएनएमयू के कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय ने कही। वे बुधवार को 'शिक्षा, स्वास्थ्य और जनसंख्या नियंत्रण' विषयक संगोष्ठी के उद्घाटन कर्ता के रूप में बोल रहे थे। संगोष्ठी का आयोजन स्नातकोत्तर गृह विज्ञान विभाग, बीएनएमयू और भागलपुर चैप्टर, भारतीय पोषण संघ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।
कुलपति ने कहा कि हमारा यह कर्तव्य है कि हम मात्र जनसंख्या वृद्धि नहीं करें, बल्कि स्वस्थ एवं सभ्य नागरिक पैदा करें। यहीं स्वस्थ जीवन एवं जनसंख्या प्रबंधन की जरूरत महसूस होती है। कुलपति ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और जनसंख्या नियंत्रण तीनों एक-दूसरे से जुड़े हैं। शिक्षा के माध्यम से ही हम सभी लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की कला बता सकते हैं। फिर जो समाज एवं राष्ट्र शिक्षा एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होगा, वहाँ स्वतः जनसंख्या नियंत्रित रहेगी। इसके लिए अलग से कोई कानून बनाने की जरूरत नहीं है।
कुलपति ने कहा कि जबरन लादे गये नियम एवं कानून स्थायी परिवर्तन नहीं ला सकते हैं। स्थायी परिवर्तन के लिए हमें लोगों के मन-मस्तिष्क एवं हृदय का सकारात्मक रूपांतरण करना होगा। इस रूपांतरण में शिक्षा की महती भूमिका है।
कुलपति ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। यहाँ विभिन्न धर्मों एवं पंथों के लोग रहते हैं। जनसंख्या नियंत्रण एवं प्रजनन के संबंध में अलग-अलग धर्मों एवं पंथों की मान्यताएँ अलग-अलग हैं। ऐसे में सभी लोगों पर जबरन कोई कानून लादने से इस समस्या का समाधान नहीं होगा। अतः हम जनसंख्या नियंत्रण के लिए शिक्षा एवं जागरूकता को बढ़ावा दें। लड़का हो या लड़की सबों को समुचित शिक्षा दें और सबों के अंदर बेहतर समझ पैदा करें।
प्रति कुलपति डाॅ. फारूक अली ने कहा कि आज हमारे समाज में जनसंख्या प्रबंधन की समस्या है। समुचित प्रबंधन होगा, तो जनसंख्या का नियंत्रण हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण में स्त्री शिक्षा की महती भूमिका है। वास्तव में स्त्री शिक्षा जनसंख्या नियंत्रक गोली की तरह काम करता है। ज्यों-ज्यों महिला शिक्षा बढ़ती है, त्यों-त्यों जनसंख्या कम होती है। सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डाॅ. शिवमुनि यादव ने कहा कि भारत में जनसंख्या प्रबंधन की नीति होनी चाहिए। सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए संसद में एक विधेयक लाए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डाॅ. रीता सिंह ने की। संचालन बीएनमुस्टा के महासचिव डाॅ. नरेश कुमार ने की। धन्यवाद ज्ञापन मनोविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. के. पी. यादव ने किया।
इस अवसर पर डाॅ. आर. के. पी. रमण, डाॅ. एच एल एस जौहरी, डाॅ. सुभाष झा, डाॅ. अमोल झा, डाॅ. सीताराम शर्मा, डाॅ. वैद्यनाथ साह, डाॅ. गणेश प्रसाद, डाॅ. के डी राम, डाॅ. विमल कुमार सिंह, डाॅ. सुधांशु शेखर, दीपक कुमार राणा, माधव कुमार, जयश्री, काजल आदि उपस्थित थे।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQRlvtqQGowaJdbhshtVm2j8XzuLWp-uKJIVFSpkvVSJ4IaVVRHy2WGf1XVcMWq2mvwVZYRM0JZOlvj7V-f1n5NFgPZ5UJHLl98ElaPAtWcDTn7IwBDeCoXjuOt-DzA7ToUUr5_dcBOpE/s1600/Pradeep+Jha+MT.png)
यह बात बीएनएमयू के कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय ने कही। वे बुधवार को 'शिक्षा, स्वास्थ्य और जनसंख्या नियंत्रण' विषयक संगोष्ठी के उद्घाटन कर्ता के रूप में बोल रहे थे। संगोष्ठी का आयोजन स्नातकोत्तर गृह विज्ञान विभाग, बीएनएमयू और भागलपुर चैप्टर, भारतीय पोषण संघ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।
कुलपति ने कहा कि हमारा यह कर्तव्य है कि हम मात्र जनसंख्या वृद्धि नहीं करें, बल्कि स्वस्थ एवं सभ्य नागरिक पैदा करें। यहीं स्वस्थ जीवन एवं जनसंख्या प्रबंधन की जरूरत महसूस होती है। कुलपति ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और जनसंख्या नियंत्रण तीनों एक-दूसरे से जुड़े हैं। शिक्षा के माध्यम से ही हम सभी लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की कला बता सकते हैं। फिर जो समाज एवं राष्ट्र शिक्षा एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होगा, वहाँ स्वतः जनसंख्या नियंत्रित रहेगी। इसके लिए अलग से कोई कानून बनाने की जरूरत नहीं है।
कुलपति ने कहा कि जबरन लादे गये नियम एवं कानून स्थायी परिवर्तन नहीं ला सकते हैं। स्थायी परिवर्तन के लिए हमें लोगों के मन-मस्तिष्क एवं हृदय का सकारात्मक रूपांतरण करना होगा। इस रूपांतरण में शिक्षा की महती भूमिका है।
कुलपति ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। यहाँ विभिन्न धर्मों एवं पंथों के लोग रहते हैं। जनसंख्या नियंत्रण एवं प्रजनन के संबंध में अलग-अलग धर्मों एवं पंथों की मान्यताएँ अलग-अलग हैं। ऐसे में सभी लोगों पर जबरन कोई कानून लादने से इस समस्या का समाधान नहीं होगा। अतः हम जनसंख्या नियंत्रण के लिए शिक्षा एवं जागरूकता को बढ़ावा दें। लड़का हो या लड़की सबों को समुचित शिक्षा दें और सबों के अंदर बेहतर समझ पैदा करें।
प्रति कुलपति डाॅ. फारूक अली ने कहा कि आज हमारे समाज में जनसंख्या प्रबंधन की समस्या है। समुचित प्रबंधन होगा, तो जनसंख्या का नियंत्रण हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण में स्त्री शिक्षा की महती भूमिका है। वास्तव में स्त्री शिक्षा जनसंख्या नियंत्रक गोली की तरह काम करता है। ज्यों-ज्यों महिला शिक्षा बढ़ती है, त्यों-त्यों जनसंख्या कम होती है। सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डाॅ. शिवमुनि यादव ने कहा कि भारत में जनसंख्या प्रबंधन की नीति होनी चाहिए। सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए संसद में एक विधेयक लाए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डाॅ. रीता सिंह ने की। संचालन बीएनमुस्टा के महासचिव डाॅ. नरेश कुमार ने की। धन्यवाद ज्ञापन मनोविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. के. पी. यादव ने किया।
इस अवसर पर डाॅ. आर. के. पी. रमण, डाॅ. एच एल एस जौहरी, डाॅ. सुभाष झा, डाॅ. अमोल झा, डाॅ. सीताराम शर्मा, डाॅ. वैद्यनाथ साह, डाॅ. गणेश प्रसाद, डाॅ. के डी राम, डाॅ. विमल कुमार सिंह, डाॅ. सुधांशु शेखर, दीपक कुमार राणा, माधव कुमार, जयश्री, काजल आदि उपस्थित थे।
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'हम मात्र जनसंख्या वृद्धि नहीं करें, बल्कि स्वस्थ एवं सभ्य नागरिक पैदा करें': कुलपति
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 11, 2018
Rating:
!['हम मात्र जनसंख्या वृद्धि नहीं करें, बल्कि स्वस्थ एवं सभ्य नागरिक पैदा करें': कुलपति](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiKCVkdoMYoFw17VmDgxqNXI_PkOuQeXUSNnrKPO5euZ7jTnQ2LhrGJAzqcgVhTqHTi5odDFA9wgNuWiFjbL5_3GQLjsvuOKyXUII1c5g1Oq1wZpymAtLBdiVMIMJeq0Z6Mov0mebn931o/s72-c/MT+News.jpg)
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