मधेपुरा जिले के आलमनगर प्रखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेने क्षेत्र के जिला परिषद सदस्य रेखा देवी, डी ए बी स्कूल के निदेशक इंजीनियर नवीन कुमार पहुंचे.
उन्होंने सोनामुखी से मुरौत जाने वाले मार्ग में भरही धार में कोसी नदी के पानी का जायजा लिया.
इस दौरान जिला परिषद सदस्य रेखा देवी ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यूं तो प्रत्येक वर्ष इस क्षेत्र को बाढ़ से होने वाली परेशानियों का सामना करना नियति बन गई है. सरकार अगर दृढ़ निश्चय के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में ईमानदार पहल करती तो प्रत्येक वर्ष हजारों हेक्टेयर में लगी फसल ना तो बर्बाद होती और ना ही प्रत्येक वर्ष दर्जनों लोग इस बाढ़ के पानी में डूब कर असमय काल के ग्रास बनते. क्योंकि कोसी की धारा को इस क्षेत्र में खुले छोड़ देने से आज मुरौत, कपसिया एवं सुखार घाट के हजारों घरों को कोसी ने कटाव के कारण लील ली.
विस्थापित परिवार को आज तक सरकार द्वारा आशियाना तो क्या 15 वर्ष के बाद भी पुनर्वास हेतु जमीन भी उपलब्ध नहीं कराया जा सका. जबकि कटाव के नाम पर 10 करोड़ की राशि का वारा न्यारा किया गया. अगर सरकार के द्वारा इस क्षेत्र से गुजरने वाली कोसी नदी पर बांध बना दिया जाता तो यह क्षेत्र खुशहाल हो जाता. परंतु सरकारी उदासीनता की वजह से जो समस्या यहां के लोगों को पांच से छह महीना तक झेलनी पड़ती है. आज 10 वर्ष पूर्व 2008 के बाढ़ में पुल के बह जाने के बाद भी पुल का नहीं निर्माण होना सरकार की उदासीनता दिखाती है.
उन्होंने कहा कि भरही धार पर पुल निर्माण को लेकर हम वरीय पदाधिकारी के साथ-साथ मुख्यमंत्री को भी इस समस्या रूबरू कराने का काम करेंगे. अगर पुल का निर्माण नहीं किया जाएगा तो इसके लिए आंदोलन किया जाएगा.
इस दौरान डी ए बी स्कूल के निदेशक इंजीनियर नवीन कुमार, सुभाष गुप्ता, बिपिन कुमार सहित कई लोग उपस्थित थे. (रिपोर्ट: प्रेरणा किरण)
उन्होंने सोनामुखी से मुरौत जाने वाले मार्ग में भरही धार में कोसी नदी के पानी का जायजा लिया.
इस दौरान जिला परिषद सदस्य रेखा देवी ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यूं तो प्रत्येक वर्ष इस क्षेत्र को बाढ़ से होने वाली परेशानियों का सामना करना नियति बन गई है. सरकार अगर दृढ़ निश्चय के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में ईमानदार पहल करती तो प्रत्येक वर्ष हजारों हेक्टेयर में लगी फसल ना तो बर्बाद होती और ना ही प्रत्येक वर्ष दर्जनों लोग इस बाढ़ के पानी में डूब कर असमय काल के ग्रास बनते. क्योंकि कोसी की धारा को इस क्षेत्र में खुले छोड़ देने से आज मुरौत, कपसिया एवं सुखार घाट के हजारों घरों को कोसी ने कटाव के कारण लील ली.
विस्थापित परिवार को आज तक सरकार द्वारा आशियाना तो क्या 15 वर्ष के बाद भी पुनर्वास हेतु जमीन भी उपलब्ध नहीं कराया जा सका. जबकि कटाव के नाम पर 10 करोड़ की राशि का वारा न्यारा किया गया. अगर सरकार के द्वारा इस क्षेत्र से गुजरने वाली कोसी नदी पर बांध बना दिया जाता तो यह क्षेत्र खुशहाल हो जाता. परंतु सरकारी उदासीनता की वजह से जो समस्या यहां के लोगों को पांच से छह महीना तक झेलनी पड़ती है. आज 10 वर्ष पूर्व 2008 के बाढ़ में पुल के बह जाने के बाद भी पुल का नहीं निर्माण होना सरकार की उदासीनता दिखाती है.
उन्होंने कहा कि भरही धार पर पुल निर्माण को लेकर हम वरीय पदाधिकारी के साथ-साथ मुख्यमंत्री को भी इस समस्या रूबरू कराने का काम करेंगे. अगर पुल का निर्माण नहीं किया जाएगा तो इसके लिए आंदोलन किया जाएगा.
इस दौरान डी ए बी स्कूल के निदेशक इंजीनियर नवीन कुमार, सुभाष गुप्ता, बिपिन कुमार सहित कई लोग उपस्थित थे. (रिपोर्ट: प्रेरणा किरण)
'2008 के बाढ़ में पुल बह जाने के बाद भी पुल का निर्माण नहीं होना सरकार की उदासीनता'
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 12, 2018
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