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सभी फोटो: मुरारी सिंह |

परीक्षा सम्बन्धी विस्तृत सूचना यह है कि प्रथम पाली में परीक्षा देने वालों
की आवंटित संख्या 17714 थी लेकिन 219 परीक्षार्थी शायद माहौल देख कर अनुपस्थित
रहना ही बेहतर समझा और 17495 छात्र ही परीक्षा में शामिल हुए । दूसरी पाली में
परीक्षार्थी की आवंटित संख्या 17272 थी तो 90 परीक्षार्थी गैर हाज़िर होकर अपनी
इज्जत बचाने में कामयाब रहे और 16982 छात्र परीक्षा में शामिल हुए । दूसरी पाली
में ही दोनों परीक्षार्थी निष्कासित और गिरफ्तार हुए ।
सजी हुई थी चार पिंक सेंटर: महिलाओं की शक्ति और सामर्थ्य की पहचान बन चुकी
पिंक सेंटर की संख्या इंटर परीक्षा में मिली सफलता के बाद बढाकर चार कर दी गई है ।
मधेपुरा के केशव बालिका विद्यालय, रास बिहारी विद्यालय, टी पी कालेजियेट विद्यालय के साथ उदा किशुनगंज के बालिका
मध्य विद्यालय कॊ भी इस बार पिंक केन्द्र बनाया गया है । इन केन्द्रों का नजारा ही
अलग था । ये सभी केन्द्र छात्राओं के लिये है जहाँ सिर्फ और सिर्फ महिलायें ही
चपरासी से लेकर अधीक्षक और पुलिस कर्मी से लेकर दंडाधिकारी तक प्रतिनियुक्त की गयी
है । रंगीन परीक्षा के पहले दिन इन सभी पिंक सेंटर बैलून से सजी तोरण द्वार, अंदर रंग बिरंगा कालीन गलीचा बिछा हुआ प्रतीत हो रहा कि
परीक्षा नही विवाहोप्लक्ष में शामिल होने आये हो । पिंक सेंटर में अनुभवी हो चुके
केशव बालिका विद्यालय केन्द्र पर सभी प्रतिनियुक्त महिला कर्मी और अधिकारी आत्म
विश्वास से लबालब दिखी । इन चारो पिंक केन्द्र पर महिलाओं ने किसी छात्रा कॊ
पुर्जे निकालने के न तो लायक रखा और न कोई मौका दिया । मधेपुरा के लोग यह जानकर
गर्व महसूस कर सकते हैं कि जिलाधिकारी मु सोहैल ने ही इंटर परीक्षा में प्रयोग के
तौर पर पिंक सेंटर का कॉन्सेप्ट प्रयोग के तौर पर शुरू किया जो अब पूरे राज्य में
अपनाया जा रहा है ।
कदाचार पर कैसे लगी पूरी पाबंदी?: सरकार अगर दृढ़ इच्छाशक्ति से कूछ करना
चाहती है तो फ़िर सफल होती ही है । बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की भद्द पिटने के
बाद अब परीक्षा में सुधार और कदाचार पर पाबंदी का न्यायालय का निर्देश दिये जाने
के बाद जिला प्रशासन ने सुधार का बीड़ा उठा लिया है । जिलाधिकारी मु सोहैल ने सभी
केन्द्राधीक्षक और दंडाधिकारी कॊ निर्देश दिया है कि अगर कोई केन्द्र पर कानून
व्यवस्था से खिलवाड़ करने की कोशिश करे तो तुरंत एक्शन लें और प्राथमिकी दर्ज
कराने से नही चूकें। इसके साथ ही प्रतिनियुक पुलिस कर्मी से लेकर पदाधिकारी तक
चौकस रह कर हर मुकाबले के लिये तैयार तत्पर हैं । केन्द्र से बाहर के वीक्षक और
अन्य कर्मी रहने के कारण किसी का कोई परिचय भी काम नही आ रहा है । लगातार गश्त
लगाती पुलिस और पदाधिकारी की टीम और सायरन बजाकर पूरी तरह क्रियाशील जिलाधिकारी से
लेकर अन्य पदाधिकारियों की वाहन, पूरे माहौल कॊ कदाचार से दूर कर रही है ।
अब देखना यह है कि क्या यह स्थिति विश्वविद्यालय और कालेजों की परीक्षा में भी
दिखेगा ? क्या यही स्थिति अगले वर्ष भी रहेगी जबकि चुनावी वर्ष में
छूट देने का तो पुराना रिवाज रहा है !
मैट्रिक परीक्षा शुरू: कदाचार बंद, एक निष्काषित, एक मुन्ना भाई गिरफ्तार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 21, 2018
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