प्रशासनिक उदासीनता और लापरवाही की वजह से प्रखंड के गणेशपुर पंचायत अन्तर्गत
गणेशपुर गोठ बस्ती स्थित वर्षों पूर्व रहे श्री गांधी पुस्तकालय जो सन् 1961 मे अस्तित्व में था आज पूर्णतः मिट चुका है।
उदासीनता का आलम यह है कि प्रशासनिक स्तर से इसकी कभी खोजबीन नही की गयी और
धीरे-धीरे गांधी पुस्तकालय का अस्तित्व समाप्त हो गया और उक्त स्थल फिलहाल
मवेशियों की बांधने की जगह और पशुचारा रखने के स्थल के साथ साथ अतिक्रमणकारियों की
भेंट चढ़ गया ।
मिली जानकारी के अनुसार गणेशपुर पंचायत के गणेशपुर गोठ बस्ती स्थित श्री गांधी
पुस्तकालय गणेशपुर जो कि 1961 ई में पूर्णतः अपने अस्तित्व में था. ग्रामीण बताते हैं कि
पुस्तकालय के नाम 6 डिसमिल जमीन जिसका खाता 564 खेसरा 1792 मौजा गणेशपुर मकान में सहन खतियान बना है।जो की पुस्तकालय
के नाम से है। दिनांक 11-11-1962 ई में तत्कालीन प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी चौसा एवं
विद्यालय उपनिरीक्षक मधेपुरा ने निरीक्षण में जिक्र किया है की पुस्तकालय में 221 पुस्तकें है। पुस्तकालय संचालन हेतू सदस्यों की संख्या 31 है । साथ ही यह भी निरीक्षण में जिक्र है की पुस्तकालय में
नियमित रूप से पुसतकों का आदान-प्रदान होता है। पुस्तकालय को स्वतंत्र भवन है । अब
यहाँ सवाल यह है कि आखिर वर्षों पूर्व पूर्णरूपेण नियमित रूप से संचालित पुस्तकालय
कहाँ गया? प्रशासन ने इसकी खोज खबर कभी क्यों नही ली ?
कुछ वर्ष पूर्व स्थानीय ग्रामीणों ने सैकड़ो की संख्या में हस्ताक्षरित आवेदन
अंचलाधिकारी पुरैनी को दिया ग्रामीण बताते हैं कि दिनांक 20-09-2014 को ग्रामीणों का हस्ताक्षरित आवेदन अंचलाधिकारी पुरैनी को
दो आवेदन अतिक्रमण मुक्त करने के संदर्भ में दिया गया । जिसमें उक्त मुहल्ला स्थित
सर्वसाधारण काली स्थान की जमीन तो आवेदन के आलोक में प्रशासन की कुंभकर्णी नींद
खुली और काली स्थान को अतिक्रमण मुक्त कराया गया, लेकिन उसी वक्त पुस्तकालय की
जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने हेतु दिये गए आवेदन को फाइलों मे बंद कर दिया गया ।
ग्रामीणों की मानें तो पुस्तकालय की जमीन को अतिक्रमित करने वाले लोग की पहुंच
पदाधिकारीयों से लेकर राजनेताओ तक है. तभी तो बार-बार आवेदन दिये जाने के बाद भी
प्रशासनिक स्तर से कोई कारवाई नही की जाती है।
बहरहाल ग्रामीण इस बार आंदोलन के मूड में हैं. ग्रामीणों ने कहा कि दिनांक 6 अक्टूबर 2017 को पुनः सैकड़ो की संख्या में हस्ताक्षरित आवेदन जिसपर
स्थानीय विधायक नरेन्द्र नारायण यादव सहित जिला परिषद् सदस्य,
प्रखंड बीससूत्री अध्यक्ष, पंचायत के मुखिया सरपंच आदि जनप्रतिनिधियो का अनुशंसित
आवेदन दिया गया है । अगर इस बार प्रशासन कार्रवाई कर पुस्तकालय को अतिक्रमण से
मुक्त नही करती है तो चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जाएगा ।
इस बाबत अंचलाधिकारी अशोक कुमार मंडल ने कहा कि आवेदन मिला है, जांच कर उचित
कार्रवाई की जाएगी ।
उदासीनता: वर्षो से अतिक्रमित है पुस्तकालय की जमीन, आन्दोलन की तैयारी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 07, 2017
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