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22 अप्रैल 2016 को पटना के होटल पाटलिपुत्र अशोक में जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से फ्रेंच में स्नातकोत्तर और नालंदा के वर्तमान एसपी कुमार आशीष ने बीएचयू से एलएलबी की गोल्ड मेडलिस्ट और दिल्ली उच्च न्यायालय की अधिवक्ता देव्यानी शेखर का हाथ थामकर दाम्पत्य जीवन की शुरुआत की तो उस भावुक क्षण के गवाह कई नामचीन हस्ती के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तक भी बने.
पर इस परिणय के पीछे एक लम्बी और प्रेरणादायक प्रेम कहानी भी है. एक साधारण परिवार से निकलकर इस तरह सूबे का चर्चित आईपीएस अधिकारी बनकर लगातार सफलता हासिल करना कुमार आशीष के लिए शायद इतना आसान न होता अगर पिछले आठ साल से कुमार आशीष और देव्यानी शेखर एक-दूसरे की ताकत न बनते. अपना-अपना कैरियर संवारने के लिए हुआ परिचय कब पहले एक-दूसरे की ताकत और फिर जरूरत बन गया, शायद इन्हें भी पता न चला और जब लगा कि एक-दूजे के बिना रहना असंभव सा है तो फिर कई दीवारें भी सामने नजर आई. अंतर्जातीय विवाह के लिए परिवार को मनाना काफी मुश्किल हुआ, पर आशीष-देव्यानी के सब्र का बाँध न टूटा. एक-दूसरे को गाइड करते जहाँ कुमार आशीष इसी बीच संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर आईपीएस बन गए वहीँ वही दूसरी तरफ देव्यानी ने अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में ग्रेजुएशन के बाद प्रतिष्ठित बीएचयू से कानून की पढ़ाई की और करीब दो दशकों के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए स्वर्ण पदक प्राप्त किया. सहारा बनते हुए आगे बढ़ने की कहानी दोनों के परिवार से भी नहीं छुपी और दोनों परिवारों की प्रतिष्ठा को और अधिक ऊंचाई तक ले जाने का एहसास अभिभावकों को आशीष और देव्यानी को परिणय सूत्र में बंधने को राजी कर गया.
बता दें कि कुमार आशीष जमुई के सिकंदरा के मूल निवासी हैं. पिता ब्रजनंदन प्रसाद सिंचाई विभाग में क्लर्क पद पर रह चुके हैं तो परिवार में एक भाई रेलवे में और दूसरे आर्मी में डॉक्टर हैं. आईपीएस की ट्रेनिंग के
बाद कुमार आशीष की पहली पोस्टिंग वर्ष 2014 में दरभंगा के सदर में एसडीपीओ के रुप में फिर बेगूसराय के बलिया में एएसपी पद पर और फिर अगस्त 2015 में एसपी के रूप में पहली पोस्टिंग मधेपुरा हुई. जबकि देव्यानी शेखर समस्तीपुर की मूल निवासी है. पिता बैंक मैनेजर रहे हैं और माता फैशन डिजायनर. कुमार आशीष की माँ ने देव्यानी को बहू के रूप में आशीर्वाद तो दिया पर शायद ये आईपीएस आशीष को जीवन भर खलेगा कि परिणय सूत्र में बंधने से पहले अचानक माँ ने उस समय साथ छोड़ दिया जब कुमार आशीष बतौर एसपी मधेपुरा में पोस्टेड थे. मैया बिना अचानक सब सूना हो गया और इस घटना ने कुमार आशीष को तोड़कर रख दिया था. पर यहाँ भी पिता का साथ रहना और देव्यानी के बढ़ाए हौसले ने इन्हें कर्मपथ पर उसी उत्साह के साथ वापस ला दिया और मधेपुरा से लेकर नालंदा तक जांबाज और जनता के एसपी के रूप में कुमार आशीष की लोकप्रियता का डंका बजता रहा.
प्रेम के आलोचक हमेशा से ये कहते रहे हैं कि प्रेम अक्सर बर्बादी की वजह बनती है. भावावेश में लिए
निर्णय जहाँ माँ-बाप के सपनों को चकनाचूर करते हैं, वहीं कैरियर बनाने के समय अक्सर प्रेम सम्बन्ध तनाव और असफलता ही देते हैं. आलोचकों का यह भी कहना है कि शायद इसीलिए ‘प्यार होना’ का अंग्रेजी ‘fall in love’ बनाया गया है क्योंकि इसमें अक्सर ‘गिरना’ ही होता है.
पर कुमार आशीष और देव्यानी शेखर के आठ सालों के लम्बे प्रेम संबंधों के दौरान धैर्य बरकरार रखते दोनों का असीमित ऊंचाई पर चढ़ना और परिवार को अपने अच्छे काम और सफलता से मना लेना ‘rise in love’ का सटीक उदाहरण है और प्रेम के आलोचकों के पुनर्विचार का भी समय है. कहा जा सकता है कि इस आईपीएस अधिकारी का सम्पूर्ण व्यक्तित्व ही युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है.
मधेपुरा टाइम्स की ओर से नव-दम्पति को अनंत शुभकामनाएं.
(रिपोर्ट: आर.के. सिंह)
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प्रेम के आलोचक हमेशा से ये कहते रहे हैं कि प्रेम अक्सर बर्बादी की वजह बनती है. भावावेश में लिए
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पर कुमार आशीष और देव्यानी शेखर के आठ सालों के लम्बे प्रेम संबंधों के दौरान धैर्य बरकरार रखते दोनों का असीमित ऊंचाई पर चढ़ना और परिवार को अपने अच्छे काम और सफलता से मना लेना ‘rise in love’ का सटीक उदाहरण है और प्रेम के आलोचकों के पुनर्विचार का भी समय है. कहा जा सकता है कि इस आईपीएस अधिकारी का सम्पूर्ण व्यक्तित्व ही युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है.
मधेपुरा टाइम्स की ओर से नव-दम्पति को अनंत शुभकामनाएं.
(रिपोर्ट: आर.के. सिंह)
‘राइज इन लव’ है आईपीएस कुमार आशीष और देव्यानी शेखर का परिणय सूत्र में बंधना
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 25, 2016
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