सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति की कार्यशैली सवालों के घेरे में (2): जमा बड़ी राशि का उपयोग जनहित में क्यों नहीं?
आखिरकार सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति के व्यवस्थापक को पांचवीं बार सेवा विस्तार बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल ने ही दी. बार बार सेवा विस्तार को रोकने के आदेश ने ही पूर्व प्रबंधक को 15 दिनो का सेवा विस्तार दे दिया. अपने उसी पत्र मे श्री कुणाल ने न्यास की क्षमता पर सवाल उठाने के अपने मंतव्य की भी याद दिलाई.
लेकिन न्यास समिति के सदस्य को इस बात से कोई फर्क नही पडता. इसका दूसरा उदाहरण है न्यास के पास काफी संग्रहित राशि है, जिसका उपयोग जनहित मे नही किया जा रहा है. इस बावत बोर्ड के अध्यक्ष ने बार बार न्यास के सदस्यों को चेतावनी दी है कि उक्त राशि का उपयोग अगर जनहित के कार्यों में नही किया गया तो आयकर विभाग के नोटिस पर न्यास को करोड़ों रुपये आयकर विभाग को देने होगे. लेकिन न्यास के सदस्य आपसी लडाई इस कदर मशगूल हैं कि निजी लाभ के अलावे उन्हें शायद कुछ दिखाई नही दे रहा है.
सिंहेश्वर मंदिर परिसर धर्मशाळा, जो भुकंम्प के बाद पूर्णरुपेण क्षतिग्रस्त है, वहां कभी भी कोई दुर्घटना घट सकती है, जिसकी बुकिग भी बन्द है. आगामी महाशिवरात्रि मेला मे इसका असर आने वाले श्रृदालुओ पर पड़ना तय मन जा रहा है. न्यास के खुद का कार्यालय अपने जर्जर स्थिति पर आंसू बहा रहा है. इसकी बदतर हालात को देख कर कई बार इसको बनाने का निर्णय लिया गया, लेकिन अबतक इस पर अमल नही किया गया है. मेला से पूर्व सड़क बनाने की पहल तो की गई पर फिर आपसी खीचातानी मे सड़क निर्माण को रोक दिया गया. जिसके कारण मेलाग्राउंड के दुकानदार व्यथित हैं.
रेडिमेड व्यवसायी विजय भगत ने कहा कि कार्य रोके जाने के बाद यत्र-तत्र पडे गिटटी-बालू के कारण इस रोड का जन जीवन अस्त व्यस्त है. वहीँ आवागमन अवरूद्ध रहने के कारण रोजी-रोटी अलग प्रभावित है. इस बावत दुकानदारों का कहना है कि अब बाबा सिंहेश्वर ही न्यास के सदस्यो के अजीबोगरीब निर्णय से बचा सकते हैं. इस बावत बीस सूत्री अध्यक्ष हरेन्द मंडल ने न्यास के कार्यो पर प्रहार करते हुए कहा कि बाबा की कृपा जब सब लोगों पर एक समान होती है तो न्यास के कर्मी सभी कार्य गोपनीय क्यों हो? इसमे स्थानीय जनप्रतिनिधियो को भी शामिल किया जाना चाहिए. (क्रमश:)
लेकिन न्यास समिति के सदस्य को इस बात से कोई फर्क नही पडता. इसका दूसरा उदाहरण है न्यास के पास काफी संग्रहित राशि है, जिसका उपयोग जनहित मे नही किया जा रहा है. इस बावत बोर्ड के अध्यक्ष ने बार बार न्यास के सदस्यों को चेतावनी दी है कि उक्त राशि का उपयोग अगर जनहित के कार्यों में नही किया गया तो आयकर विभाग के नोटिस पर न्यास को करोड़ों रुपये आयकर विभाग को देने होगे. लेकिन न्यास के सदस्य आपसी लडाई इस कदर मशगूल हैं कि निजी लाभ के अलावे उन्हें शायद कुछ दिखाई नही दे रहा है.
सिंहेश्वर मंदिर परिसर धर्मशाळा, जो भुकंम्प के बाद पूर्णरुपेण क्षतिग्रस्त है, वहां कभी भी कोई दुर्घटना घट सकती है, जिसकी बुकिग भी बन्द है. आगामी महाशिवरात्रि मेला मे इसका असर आने वाले श्रृदालुओ पर पड़ना तय मन जा रहा है. न्यास के खुद का कार्यालय अपने जर्जर स्थिति पर आंसू बहा रहा है. इसकी बदतर हालात को देख कर कई बार इसको बनाने का निर्णय लिया गया, लेकिन अबतक इस पर अमल नही किया गया है. मेला से पूर्व सड़क बनाने की पहल तो की गई पर फिर आपसी खीचातानी मे सड़क निर्माण को रोक दिया गया. जिसके कारण मेलाग्राउंड के दुकानदार व्यथित हैं.
रेडिमेड व्यवसायी विजय भगत ने कहा कि कार्य रोके जाने के बाद यत्र-तत्र पडे गिटटी-बालू के कारण इस रोड का जन जीवन अस्त व्यस्त है. वहीँ आवागमन अवरूद्ध रहने के कारण रोजी-रोटी अलग प्रभावित है. इस बावत दुकानदारों का कहना है कि अब बाबा सिंहेश्वर ही न्यास के सदस्यो के अजीबोगरीब निर्णय से बचा सकते हैं. इस बावत बीस सूत्री अध्यक्ष हरेन्द मंडल ने न्यास के कार्यो पर प्रहार करते हुए कहा कि बाबा की कृपा जब सब लोगों पर एक समान होती है तो न्यास के कर्मी सभी कार्य गोपनीय क्यों हो? इसमे स्थानीय जनप्रतिनिधियो को भी शामिल किया जाना चाहिए. (क्रमश:)
सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति की कार्यशैली सवालों के घेरे में (2): जमा बड़ी राशि का उपयोग जनहित में क्यों नहीं?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 20, 2016
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