
लगातार भूकंप या प्राकृतिक आपदाओं से हम बहुत अधिक डर रहे हैं क्योंकि हम इन परिस्थितियों से सामंजस्य नहीं बिठा पाते हैं. चूंकि ये अकस्मात होते हैं और जानलेवा भी हो सकते हैं. पर धरती पर जीवन ही इस ब्रह्माण्ड का सबसे बड़ा आश्चर्य है. मौत स्वाभाविक है. दिल को मजबूत करें और विपरीत परिस्थितियों से लड़ना और सामंजस्य स्थापित करना सीखें.
धरती
अरबों साल पुरानी है. जीवन अपने आप में ही एक आश्चर्य है. पृथ्वी हमेशा ही हिलती
(घूमती) है. अपने धुरी पर 24 घंटे
में एक बार (रोटेशन) और सूर्य की परिक्रमा करीब 365 दिनों में एक बार (रिव्योल्युशन). शरीर पर हवा का दवाब 10
हजार किलोग्राम प्रति स्क्वायर मीटर
है. पर हमें इन बातों का पता इसलिए नहीं चलता है कि हमारे शरीर ने इन
परिस्थितियों से सामंजस्य बिठा लिया है.
आपदा के समय
हम लोभ, काम, क्रोध आदि भूल जाते हैं. ये परिस्थितियां हमें शायद यही सिखाना चाहती है कि इन दुर्गुणों को
भूलकर हम मानव का मानव से प्रेम
हमेशा बना कर रखें, दुर्भावनाओं की इस धरती पर कोई जगह न हो. आइये आपस में सहयोग की भावना विकसित करते हुए मिहनत करें और
धरती को सुरक्षित रखने का हर
संभव प्रयास करते रहें. (वि० सं०)
भूकंप के लगातार झटके: कुछ कहती है ये धरती...
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 16, 2015
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