भूकंप के लगातार झटके: कुछ कहती है ये धरती...

आज शाम के करीब 05:06 मिनट पर एक बार फिर धरती कांपी. नेपाल में रामेझाप के पास इसका केन्द्र बताया जाता है और तीव्रता 5.7. पर बिहार और खासकर मधेपुरा जिले में कंपन अत्यंत ही मामूली था और कई लोगों का कहना था कि उन्हें पता भी नहीं चला, लोगों ने बताया. मतलब कि भूकंप की तीव्रता हमारे इलाके आते-आते और भी कम हो गई थी. इस इलाके में लगातार आ रहे झटकों से लोग कुछ अधिक ही डरे हुए जान पड़ते हैं. सतर्क रहना अच्छी बात है, पर इस तरह मामूली से झटके पर भी भागमभाग शायद ठीक नहीं. हलके झटके से बचने के लिए पुराने और जर्जर घरों को छोड़कर बाकी घर भी एक सुरक्षित जगह होता है.
             लगातार भूकंप या प्राकृतिक आपदाओं से हम बहुत अधिक डर रहे हैं क्योंकि हम इन परिस्थितियों से सामंजस्य नहीं बिठा पाते हैं. चूंकि ये अकस्मात होते हैं और जानलेवा भी हो सकते हैं. पर धरती पर जीवन ही इस ब्रह्माण्ड का सबसे बड़ा आश्चर्य है. मौत स्वाभाविक है. दिल को मजबूत करें और विपरीत परिस्थितियों से लड़ना और सामंजस्य स्थापित करना सीखें.
      धरती अरबों साल पुरानी है. जीवन अपने आप में ही एक आश्चर्य है. पृथ्वी हमेशा ही हिलती (घूमती) है. अपने धुरी पर 24 घंटे में एक बार (रोटेशन) और सूर्य की परिक्रमा करीब 365 दिनों में एक बार (रिव्योल्युशन). शरीर पर हवा का दवाब 10 हजार किलोग्राम प्रति स्क्वायर मीटर है. पर हमें इन बातों का पता इसलिए नहीं चलता है कि हमारे शरीर ने इन परिस्थितियों से सामंजस्य बिठा लिया है.
        आपदा के समय हम लोभ, काम, क्रोध आदि भूल जाते हैं. ये परिस्थितियां हमें शायद यही सिखाना चाहती है कि इन दुर्गुणों को भूलकर हम मानव का मानव से प्रेम हमेशा बना कर रखें, दुर्भावनाओं की इस धरती पर कोई जगह न हो. आइये आपस में सहयोग की भावना विकसित करते हुए मिहनत करें और धरती को सुरक्षित रखने का हर संभव प्रयास करते रहें. (वि० सं०)
भूकंप के लगातार झटके: कुछ कहती है ये धरती... भूकंप के लगातार झटके: कुछ कहती है ये धरती... Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 16, 2015 Rating: 5

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