ऐसा मामला न सिर्फ
गंभीर है, बल्कि पुलिस विभाग के भीतर के कई स्याह सच को भी उजागर करता प्रतीत होता
है. बड़े अधिकारियों के द्वारा अधीनस्थ अधिकारियों की प्रताड़ना पुलिस विभाग में आम माने
जाती है.
सहरसा थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह पर पूर्वाग्रह
से ग्रसित होकर गालीगलौज तक कर देने के आरोपों से आहत एक दारोगा नमित कुमार झा ने
सहरसा एसपी से न्याय की गुहार लगाई है. पीड़ित दारोगा ने एसपी को दिए और डीआईजी को भेजे
प्रतिलिपि में कहा है कि उनके निलंबन के बाद कांडों का प्रभार थानाध्यक्ष को देने के
क्रम में उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि उनका मन अब आत्महत्या करने को करता है.
थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने उन्हें विभिन्न तरह से प्रताड़ित किया. पीड़ित दारोगा
ने खुद को असहाय बताते हुए एसपी से न्याय मांगी है.
सवाल बड़ा है, जिस दारोगा पर आम लोगों की रक्षा का भार हो और वही यदि आत्महत्या की बात करे तो फिर आमलोगों का क्या होगा. मामले की सही जांच होनी चाहिए और यदि सदर थानाध्यक्ष दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए.(ए.सं.)
सवाल बड़ा है, जिस दारोगा पर आम लोगों की रक्षा का भार हो और वही यदि आत्महत्या की बात करे तो फिर आमलोगों का क्या होगा. मामले की सही जांच होनी चाहिए और यदि सदर थानाध्यक्ष दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए.(ए.सं.)
सहरसा: सदर थानाध्यक्ष की प्रताडना से तंग आकर दारोगा ने बनाया आत्महत्या का मन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 18, 2015
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