बानगी 1: प्रेमी सीधे पटना उच्च
न्यायालय चला जाता है और एक ‘हैबियस कॉर्पस’ रिट फ़ाइल करता है कि उसकी मधेपुरा की प्रेमिका/पत्नी को
उसके घर वाले जबरन घर में रखे हुए हैं. मामला ‘अनलॉफुल डिटेंशन’ का था, हाई कोर्ट ने मधेपुरा पुलिस को लड़की को हाजिर करने
का आदेश दिया. लड़की हाई कोर्ट में हाजिर की गई और चेंबर में न्यायाधीश ने प्रेमी
के दावे पर लड़की के पूछताछ की. लड़की का कहना था वह सिर्फ उसे जानती है, क्योंकि लड़का
उसका दूर का सम्बन्धी है. लड़की ने दावा किया कि लड़के के द्वारा उसके साथ शादी का
कोई भी एफिडेविट गलत है. उसकी शादी 23 अप्रैल को पिता की मर्जी से निर्धारित है और
वह घरवालों की मर्जी से शादी करना चाहती है.
हाई
कोर्ट लड़की को सुरक्षित उसके माता-पिता के पास पहुँचाने का आदेश देती है और इस तरह
प्रेमी को मुंह की खानी पड़ती है.
बानगी 2: सिंहेश्वर थाना की एक
लड़की घर से गायब होती है और आरोप लगता है जानकीनगर के एक निजी स्कूल के ड्राइवर
पर, जहाँ लड़की पढ़ाई कर रही होती है. मामला सिंहेश्वर थाना में दर्ज कराया जाता है
और थानाध्यक्ष सुमन सिंह इसे चुनौती के रूप में लेते हुए 24 घंटे के अंदर दोनों
को
बरामद कर लेते हैं. लड़की कहती है कि लड़का उसे जबरन ले गया था. प्रेमी जेल की हवा
खाने चला जाता है और ऐसी परिस्थिति में उसे बाहर की हवा नसीब होने में लंबा वक्त
लग सकता है.

बानगी 3: साहुगढ़ से लड़की के गायब होने के बाद तनाव
उत्पन्न हो जाता है. पुलिस दोनों को बरामद करती है और अपहरण के आरोपी लड़के को जेल
भेजती है. लड़की न्यायालय में बयान देती है कि उसका अपहरण किया गया था. यहाँ भी
लड़के को लंबे समय तक जमानत मिलने की कोई सम्भावना नजर नहीं आती.
अप्रैल का माह जिले भर के
प्रेमियों पर भारी रहा और ऊपर तीन तो सिर्फ बानगी है. जहाँ पहले लड़की के गायब होने
पर लोग आसानी से उसे प्रेम-प्रसंग का मामला कहते थे और बरामदगी के बाद लड़की भी
अक्सर कहते नजर आती थी कि मैं स्वेच्छा से गई थी और हमने मर्जी से शादी कर ली है
और अब मैं अपने माँ-बाप नहीं बल्कि पति के घर जाना चाहती हूँ, इस अप्रैल में जिले
भर में कम से कम आधे दर्जन प्रेमियों को हार का मुंह देखना पड़ा है.
कई लोगों का मानना है कि ये एक
नए ट्रेंड की वापसी है और ‘आवारा प्रेमियों’ के फर्जी प्यार में भटक जा रही लड़कियों की ‘घर वापसी’ है. (वि० सं०)
मधेपुरा में भूकंप से भी बड़े झटके खा रहे हैं प्रेमी: दर्जनों हुए सलाखों के पीछे
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 29, 2015
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