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बता दें कि वर्ष 2006 में सिंहेश्वर और त्रिवेणीगंज
में क्रमश: 160 और 125 अपराधियों ने हथियार के साथ तत्कालिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष आत्मसमर्पण
किया था. इस आत्मसमर्पण से नीतीश कुमार ने काफी वाहवाही बटोरी थी. लेकिन आत्मसमर्पण
के बाद उन्होंने घोषित योजनाओं को लागू कराने में कोई अभिरूचि नहीं ली और आत्मसमर्पणकारी
घोषित सरकारी लाभ से वंचित रहे. कई आत्मसमर्पणकारी पुन: अपराध की ओर उन्मुख हुए और
एक बार फिर जेल की सीखचों में कैद हो गये. लेकिन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को जब इस
तथ्य से अवगत कराया गया तो वे सहज और सरल भाव से न सिर्फ टेंगराहा आकर बांतर जाति के
पूर्व अपराधियों से मिलने की इच्छा जाहिर की बल्कि इस अविकसित पिछड़े इलाके के लिए विकास का पैकेज देना भी स्वीकारा है.
इस मामले में बिहार देश का अकेला सूबा है जहां
अपराधियों के आत्मसमर्पण पर पुनर्वासित करने की योजना ली गयी है. इस सिलसिले में बिहार
सरकार ने 3 मार्च 2006 को गृह विभाग की ओर से ज्ञापांक बी/विविध-14/2006 2193 के माध्यम से अधिसूचना जारी की थी.
इस अधिसूचना में बिहार सरकार ने माना था कि वर्तमान समाजिक परिवेश में अपराध की बढ़ती
घटनाओं की धरातल में भूख, बेरोजगारी, सामाजिक एवं आर्थिक विषमता है. इसमें अपराध के विस्तार का मुख्य
आधार सामाजिक एवं आर्थिक विषमता तथा गरीबी एवं बेरोजगारी बताया गया था.
सरकार ने अपने संकल्प में कहा था
कि यदि इन आधारों के उपजे अपराधियों को भी आपराधिक प्रवृत्ति से विमुख कर राष्ट्रीय
सामाजिक मुख्य धारा से जोड़ने के निमित इनके पुनर्वासन तथा कल्याण हेतु योजनायें प्रायोजित
किये जाएं, तो यह आशा की जा सकती है कि ऐसे अपराधी भी आत्मसमर्पण करने तथा सामाजिक व्यवस्था
से जुड़ने को अग्रसर होंगे तथा समाज में शांति
व्यवस्था कायम करने में आशातीत सफलता
मिल सकेगी. बिहार सरकार ने यह भी पाया था कि काफी हद तक बेरोजगारी और भूख के कारण कम
उम्र के नौजवान सनसनीखेज घटनाओं को अंजाम देने को प्रवृत्त हो रहे हैं.
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उसके बाद बिहार सरकार के उक्त अधिसूचना
को गजट में प्रकाशित कर साफ तौर पर कहा गया था कि ऐसे अपराधियों की उत्पत्ति के स्रोत
को रोकने और दीर्घकालिक रूप से अपराध की ओर गरीबों का झुकाव कम कर अपराधियों को अपराध
से विमुख करने और उन्हें सामाजिक एवं राष्ट्रीय मुख्य धारा से जोड़ने हेतु सरकार ने
योजना लिया है कि इस निमित दुर्दान्त अपराधियों के प्रत्यर्पण एवं पुनर्वास की एक योजना
कार्यान्वित की जाय, जिसके अन्तर्गत आत्मसमर्पण करने वाले अपराधियों एवं उसके परिवारों को आर्थिक सुरक्षा
प्राप्त हो सके तथा उनका सर्वागीन विकास हो सके.
जानकारी हो कि बिहार सरकार के अधिसूचना
में प्रत्यर्पण करने वाले अपराधी को तत्कालिक सहायता के रूप में दस हजार रूपये देने
तथा पुनर्वास की स्वीकृति होने तक प्रतिमाह तीन हजार रूपये की सहायता देने का प्रावधान
है. इसके अलावा आत्मसमर्पणकारी के दो बच्चों को निःशुल्क मैट्रिक तक सरकारी शिक्षा
देने की घोषणा की गयी थी. अपराधियों द्वारा प्रत्यर्पित हथियारों के लिए अलग से प्रोत्साहन
राशि देने की योजना ली गयी थी. इसके साथ-साथ अपराधियों के विरूद्ध दायर फौजदारी मुकदमा
में बचाव के लिए सरकार की ओर से निःशुल्क वकील की व्यवस्था करने की योजना थी तथा प्रत्यर्पित
अपराधियों के विरूद्ध विभिन्न न्यायालयों में लंबित कांडों का त्वरित निष्पादन कराने
का वचन दिया गया था. इसके लिए आवश्यकतानुसार विशेष न्यायालयों का गठन कराने की भी बात
कही गयी थी. लेकिन इन मामलों में नौ वर्ष बीत जाने के बावजूद बिहार सरकार खामोश रही
और घोषित नीति पर कोई अमल नहीं की.
आत्मसमर्पणकारियों को राज्य सरकार के घोषणानुसार
लाभ दिलाने के लिए कई जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया गया था. लेकिन इन लोगों ने कोई
अभिरूचि नहीं लिया. लाचार होकर 160 आत्मसमर्पणकारियों के विरूद्ध मधेपुरा के विभिन्न न्यायालयों
में लंबित मामलों को वे स्वयं अभिरूचि लेकर निष्पादित कराये. लेकिन मुख्यमंत्री जीतनराम
मांझी को इस मामले की जानकारी होते ही वे संवेदनशीलता के साथ कार्य में जुट गये हैं
और उनके निर्देश पर जिला प्रशासन सक्रिय हो उठी है. अब लागों को पूर्ण विश्वास हो गया
है कि कोसी के छाड़न धाराओं में कैद टेंगराहा-भोकराहा का इलाका विकास से जुड़ जायेगा.
जिसका श्रेय मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को जायेगा.
उधर मुख्यमंत्री जीतन राम
मांझी के टेंगराहा-भोकराहा गांव आकर आत्मसमर्पणकारियों से मिलने की खबर से बांतर समुदाय
के अलावा ग्रामीणों के बीच खुशी व्याप्त है. आत्मसमर्पणकारी बांतर उत्सवी माहौल में
मुख्यमंत्री के स्वागत की तैयारी कर लिये हैं. मुख्यमंत्री के इस पिछड़े इलाके में आने
से क्षेत्र का विकास अवश्यम्भावी है. इसके लिए जिला प्रशासन ने भी विकास योजनाओं की
सूची तैयार कर ली है.
27 को मधेपुरा के टेंगराहा में मुख्यमंत्री का आगमन: उत्सवी माहौल में स्वागत की तैयारी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 25, 2015
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