‘आनंद मोहन कैद में नहीं, उनकी साहित्य ने हम सबको किया कैद’: धबौली में कोसी के साहित्यकारों का जमघट, पूर्व सांसद को याद कर रो पड़े विधायक

कारा
में बंद आनंद मोहन की कर्मभूमि
माने जाने वाले सहरसा जिला के धबौली में आनंद मोहन
की कृति पर चर्चा करने सहरसा, मधेपुरा और सुपौल के बड़े-बड़े साहित्यकार मौजूद थे.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मधेपुरा के साहित्यकार और पूर्व सांसद डा०
रामेन्द्र कुमार यादव रवि ने कहा कि कोसी के गांधी कहलाने वाले रामबहादुर सिंह के
पोते आनंद मोहन की भी रगों में वही खून दौड़ रहा है. सभी जानते हैं, उन्होंने कोई
जुर्म नहीं किया. सिर्फ जज्बाती भाषण देने के कारण उन्हें सियासत के तिकडमी चाल का
शिकार होकर जेल जाना पड़ा. डा० रवि ने कहा कि मेरी भी दर्जनों रचनाएं प्रकाशित और
लोकप्रिय हुई, पर श्री मोहन को जो सौभाग्य मिला, वो मुझे भी नहीं मिल पाया.

पूर्व
सांसद डा० रवि ने कहा कि आज ऐसा लगता है कि कैद में आनंद मोहन नहीं, आनंद मोहन की
रचना के कैद में हमसब हैं जो उनकी अनुपस्थिति में भी आज उनकी चर्चा कर रहे हैं.
मधेपुरा
के साहित्यकार और बी. एन. एम. यू. के पूर्व परीक्षा नियंत्रक डा० भूपेंद्र ना०
यादव मधेपुरी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आनंद मोहन का परिवार
सक्रिय रहा है. इस परम्परा को आनंद मोहन ने निभाया. राजनीतिक क्षेत्र में उनका
योगदान तो है ही, पर साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को आने वाली पीढ़ी भी याद
रखेगी.
साहित्यकार
दशरथ सिंह ‘कुलिस’
ने कहा कि आनंद मोहन की रचना के
सीबीएसई पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने से कोसी का कण-कण आज खुशी से भर गया है.
श्री सिंह ने उनकी तुलना राम से करते हुए कार्यक्रम में उपस्थित पूर्व सांसद लवली
आनंद की तुलना सीता से करते हुए एक कविता की शक्ल में कहा कि तेरे राम रावण को
मारकर लौटेंगे. उन्होंने उन दिनों को भी याद किया जब आनंद मोहन के दादा रामबहादुर
सिंह के बीमार पड़ने पर गांधी उन्हें देखने आये थे. जिस तरह शेर घास नहीं खाता उसी
तरह आनंद मोहन जहाँ भी रहेंगे उनकी दहाड़ पूरा हिन्दुस्तान सुनेगा.

साहित्यकार
सिद्धेश्वर कश्यप ने कहा कि साहित्यकार की कोई जाति-धर्म नहीं होती है, उसके दिल
में सिर्फ जनकल्याण भावना रहती है. आज आनंद मोहन ने साहित्य में राष्ट्रीय पहचान
बनाई है, हम चाहते हैं कि उनकी पहचान अंतर्राष्ट्रीय बने.
कार्यक्रम
के संयोजक जिला पार्षद इन्द्रभूषण सिंह ‘इंदू’ का भाषण के दौरान पूर्व सांसद को याद करते जहाँ गला भर आया
वहीं विधायक रत्नेश सदा तो भाषण के दौरान रो ही पड़े. उन्होंने कहा कि आनंद मोहन ने
एक महादलित की जीवनी लिखकर बच्चों को प्रेरित करने का काम किया है ऐसे में इनकी
तुलना मैं भगवान श्री कृष्ण से करता हूँ. कृष्ण का जन्म भी जेल में हुआ था और कोसी
की धरती को गौरवान्वित करने वाली आनंद मोहन की रचना भी जेल में ही लिखी गई.
कार्यक्रम
का उद्घाटन जहाँ जहानाबाद के सांसद और रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष डा० अरूण कुमार
सिंह ने किया वहीँ सहरसा सीपीइआई के जिला मंत्री ओमप्रकाश नारायण, शायर डा० एहसान शाम, के०
पी० कॉलेज के प्राचार्य डा० के० एस० ओझा, विधायक प्रो० चंद्रशेखर, सहरसा जिप
अध्यक्ष सुरेन्द्र यादव, जिला पार्षद प्रभात यादव, हर्षवर्धन सिंह राठौर, वार्ड
पार्षद ध्यानी यादव, प्रो० संजय परमार, अमित सिंह ‘मोनी’, संदीप शांडिल्य सहित धबौली तथा कोसी के सैंकड़ों लोग
कार्यक्रम में उपस्थित थे. अंत में पूर्व सांसद लवली आनंद ने सबको धन्यवाद देते हुए कहा कि आप सबों के इसी प्यार और सहयोग की बदौलत वे जेल में भी उर्जावान हैं.
‘आनंद मोहन कैद में नहीं, उनकी साहित्य ने हम सबको किया कैद’: धबौली में कोसी के साहित्यकारों का जमघट, पूर्व सांसद को याद कर रो पड़े विधायक
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 25, 2015
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