|दिव्य प्रकाश|20 जनवरी 2015|
कहते हैं जिंदगी और मौत की तिथि तय होती है. कभी-कभी
जहाँ एक मामूली दुर्घटना में भी लोगों की जान चली जाती है, वहीँ कभी ऐसा भी देखा
गया है कि बड़ी दुर्घटना के बाद भी किसी का बाल भी बांका नहीं हुआ है.
मधेपुरा
के बिहारीगंज के एक आठ साल के बच्चे की कहानी भी अजीब है. कुछ दिन पहले घर के
सामने खेलते समय कुत्ते ने काटा तो फिर इलाज के बाद वह बाहर जाने से डरने लगा. साहा
टोला के शिक्षक रामानंद नायक का छोटा लड़का रोनित घर में ही या फिर छत पर ही खेलता
था. पर कल छत पर सायकिल चलाते समय रोनित जिस हादसे का शिकार हुआ, उसके बाद परिजनों
ने उसके जीवित बचने की आश छोड़ ही दी थी.
दरअसल रोनित राज छत पर साइकिल चलाने
के दौरान वहां किनारे रखे एक कपड़े से उलझ गया और फिर वह उसने सायकिल समेत अपना
संतुलन खो दिया. बच्चे की छोटी सायकिल बगल की छत पर गिरी और रोनित सीधे दो-मंजिला
मकान से जमीन पर गिर गया. घर तथा आसपास के लोग यह सोचकर दौड़े कि शायद अब रोनित
जिन्दा नहीं बचा होगा. पर ‘जाको राखे साइयां, मार सके न कोय’. रोनित को सिर्फ सर में मामूली
चोट लगी और इससे ज्यादा से कुछ भी नहीं हुआ. लोगों को आश्चर्यचकित करता रोनित है
पूरी तरह फिट.
मौत को चकमा देते दो-मंजिला मकान से गिरने के बाद भी सुरिक्षत बचा लड़का
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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January 20, 2015
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