 16 अक्टूबर 2012 को घटी घटना ने मधेपुरा के लोगों
को सन्न कर दिया था और उस मामले में 27 मई 2013 को मधेपुरा के एक न्यायालय ने अपनी ही बेटी के साथ
बलात्कार करने वाले पिता को दस वर्ष की सश्रम कारावास की सजा दी थी. साथ ही सुपौल जिला के पिपरा थाना के
गेल्हिया गाँव के आरोपी पिता सीताराम राम
को न्यायालय ने 2 हजार रूपये का अर्थदंड भी लगाया था. पर पटना हाई कोर्ट ने आरोपी
की अपील (Cr. Appl. 605/2013) सुनते हुए सीताराम राम को बेटी
के साथ दुष्कर्म के आरोप से मुक्त करते हुए उसे बाइज्जत बरी कर दिया है.
16 अक्टूबर 2012 को घटी घटना ने मधेपुरा के लोगों
को सन्न कर दिया था और उस मामले में 27 मई 2013 को मधेपुरा के एक न्यायालय ने अपनी ही बेटी के साथ
बलात्कार करने वाले पिता को दस वर्ष की सश्रम कारावास की सजा दी थी. साथ ही सुपौल जिला के पिपरा थाना के
गेल्हिया गाँव के आरोपी पिता सीताराम राम
को न्यायालय ने 2 हजार रूपये का अर्थदंड भी लगाया था. पर पटना हाई कोर्ट ने आरोपी
की अपील (Cr. Appl. 605/2013) सुनते हुए सीताराम राम को बेटी
के साथ दुष्कर्म के आरोप से मुक्त करते हुए उसे बाइज्जत बरी कर दिया है.
क्या था मामला: इलाके को उस समय सन्न कर देने वाली यह घटना 16 अक्टूबर 2012 को घटी थी जब एफआईआर के मुताबिक 55 वर्षीय पिता अपनी 19 वर्षीय बेटी बबीता
(काल्पनिक नाम) को गेल्हिया से यह कहकर मधेपुरा लाया कि मदनपुर वाली भौजाई से
रूपये लेकर दे दूंगा और मैं पंजाब चला जाऊँगा. मधेपुरा में पिता ने बबीता को 1290
रू० में एक रेडीमेड दूकान से अम्ब्रेला कट सलवार-कमीज खरीद कर दिया फिर बस स्टैंड
में कोल्डड्रिंक पिलाकर जल्दी पहुँचने के बहाने रेलवे लाइन के रास्ते ले जाने लगा.
भर्राही ओपी के गोढ़ीयारी गाँव के पास पिता ने बबीता के साथ जबरन दुष्कर्म किया और
फिर आगे ले जाकर उसकी गर्दन मरोड़ने लगा. बबीता के चिल्लाने पर सीताराम राम अपना
खुला पैजामा वहीं छोड़कर भागा पर ग्रामीणों ने उसे खदेड़ कर पकड़ लिया. बबीता के बयान
पर मामला मधेपुरा (भर्राही) थाना कांड संख्यां 493/12 के रूप में दर्ज हुआ.
      मधेपुरा
के तत्कालीन
एसपी सौरभ कुमार शाह ने मामले को संगीन सामजिक अपराध मानते हुए
चौबीस घंटे के अंदर आरोप पत्र समर्पित करने का निर्देश दिया. पीड़िता ने उस समय
न्यायालय में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत अपने बयान में घटना का
पूर्ण समर्थन किया तथा मेडिकल रिपोर्ट में भी बलात्कार की पुष्टि हुई थी.
ट्राइल में पलट गई थी पीड़िता : मामले का ट्राइल (ST 248/2012) जब मधेपुरा के तत्कालीन तदर्थ न्यायाधीश श्री अशोक कुमार श्रीवास्तव के कोर्ट में शुरू हुआ तो
बबीता ने कहा कि पिता ने उसके साथ दुष्कर्म नहीं किया है. मधेपुरा बस स्टैंड पर दो
अनजान व्यक्ति ने उन्हें कोल्ड ड्रिंक
पिलाया और साथ चलने लगे. कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद वह ऊंघ गई थी. उन्ही दोनों ने पिता को थ्रीनट सटा कर उसके
साथ दुष्कर्म किया. फिर उन्ही दुष्कर्मियों ने पुलिस को बुलाया और मामला दर्ज करा
कर उससे जबरन हस्ताक्षर करा लिया.
दवाब में आ गई पीड़िता ?: कांड में सभी 6 गवाहों की गवाही, आरोपी के द्वारा कोई सबूत न पेश किये जाने, घटना स्थल पर आरोपी
के कपड़े बरामद होने, ग्रामीणों द्वारा घटना की पुष्टि किये जाने, पीड़िता का 164 के तहत पूर्व में न्यायालय में बयान आदि के आधार पर विद्वान
न्यायाधीश ने माना कि पीड़िता किसी दवाब में आ गई थी और पिता ने ही दुष्कर्म को
अंजाम दिया था.
      करीब सात
महीने में न्यायालय द्वारा ऐसे घृणित सामजिक अपराध में सजा सुना देना उस समय मधेपुरा पुलिस की सफलता मानी गई थी. पर अब जब पटना हाई कोर्ट के जस्टिस गोपाल प्रसाद की
कोर्ट ने यह माना है कि मधेपुरा न्यायालय ने बिना किसी मजबूत साक्ष्य के आरोपी
पिता को सजा सुनाई है और उसे इस मामले में अविलम्ब रिहा किया जाय, तो अब इस उस समय
के सनसनीखेज मामले में कहने-सुनने को कुछ बाकी नहीं रह जाता है और अब यह माना जाना
चाहिए कि पिता ने अपनी बेटी के साथ नहीं किया था दुष्कर्म.
(वि० सं०)
मधेपुरा: बेटी के साथ दुष्कर्म के आरोपी पिता को हाईकोर्ट ने किया बाइज्जत बरी
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