पूर्णियां: इलाज के अभाव में एक माँ ने तोड़ा दम: भूख और प्यास से बिलखता बच्चा हुआ अकेला, नहीं है उसका कोई ठिकाना

कहते हैं माँ तो जिस्म में सांसो सी रहती है, लहू बनके रगो में बहती है, जिन्दगी बन के हमारे दिलों में धड़कती है. माँ इस धरती से ही बड़ी नहीं, इस कायनात और जन्नत से भी बड़ी है ! तभी तो माँ के बगैर जीवन  सूना-सूना सा लगता है ......पर यहाँ जो दर्द पसरा हुआ है इसे शब्दों में बयां करना मुमकिन नहीं.
         पूर्णिया सदर अस्पताल के प्रांगन में एक नन्हा सा मासूम, अपनी मरी हुई माँ के लिए तड़प रहा है, अब ये भूख से तड़प रहा है, या अपनी माँ के प्यार दुलार के लिए कहना मुश्किल है, क्योंकि ये बच्चा अपनी संवेदना व्यक्त नहीं कर सकता है. लोग तमाशबीन बने खड़े है, कुछ लड़के फेसबुक पर अपलोड करने के लिए मोबाइल से फोटो खींच रहे हैं, पर किसी को इस बच्चे की परवाह नहीं है.  लोगों की संवेदनाए  मर चुकी है. पर हमारी संवेदना जगी और बोतल में दूकान से थोड़ी सी दूध, बिलखते बच्चे के हाथ में थमा दी. बच्चे की रोने की अवाज थमी.
           बच्चा अपनी माँ को दूध की बोतल दिखाकर उठाने की कोशिश करता है और शायद अपनी भावना व्यक्त कर यह कहना चाह रहा हो कि अब उठ भी जाओ माँ, देखो मेरे हाथ में दूध की बोतल है. पर माँ तो ऐसी गहरी नींद में सो गयी है जो कभी उठकर इसे न ही गले लगा पायेगी और न ही प्यार कर पायेगी.
       स्थानीय महिला नागरिक अनामिका झा अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहती है कि अगर इस महिला का इलाज समय पर होता तो, यह बच्चा अनाथ नही होता. अफसोस जाहिर करते हुए कहने लगी अब इस अबोध बच्चे का क्या होगा. माँ और बच्चा कहॉ से आया है, यह बात सिर्फ प्रशासन जानती होगी. माँ और बच्चे को प्रशासन दो दिन पहले कहीं से बीमार हालत में यहाँ  सदर अल्पताल लायी थी.  मगर अस्पताल मे  इलाज के भाव में महिला अपने मासूम बच्चे को छोड़कर हमेशा के लिए मौत की आगोश में सो गयी.
          अस्पताल प्रशासन खामोश है और अपनी गलतियों को छिपाने की कोशिश में रात्रि प्रहरी पर यह ल्जाम लगा रही है कि उसने किसी को कुछ बताया ही नही. पूर्णिया सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ.एम.एम वसीम के अनुसारात्रि प्रहरी को इसकी सूचना देनी चाहिए थी पर अब बड़ा सवाल यह उठता है कि रात्रि में डियूटी पर तैनात डॉक्टर, नर्स और कम्पाउंडर क्या कर रहे थे?

     जाहिर है सरकार में ग़रीबों की जान यूं ही जाती रहती है और बच्चे अनाथ होकर इसी तरह बिलखते दिखें तो शायद कोई बड़ी बात नहीं होगी, भले हम बाल दिवस पर इसी तरह रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन करते रहें.
पूर्णियां: इलाज के अभाव में एक माँ ने तोड़ा दम: भूख और प्यास से बिलखता बच्चा हुआ अकेला, नहीं है उसका कोई ठिकाना पूर्णियां: इलाज के अभाव में एक माँ ने तोड़ा दम: भूख और प्यास से बिलखता बच्चा हुआ अकेला, नहीं है उसका कोई ठिकाना Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 14, 2014 Rating: 5

1 comment:

  1. main bhi sir sirf tamashabin hi ban gaya... lekin apke is mahanta ko anpne facebook par post kar raha hoon... agar apkko lage ki ham is bachche ke liye kisi prakar ki kuchh bhi sahayta kar sakte hain to please is no par message yaa call jarur karen... +91 8002468245

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