नहीं किया आज नीलकंठ के दर्शन: तो बनाइये जतरा ऑनलाइन दर्शन से

|वि० सं०|03 अक्टूबर 2014|
नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो', इस लोकोक्ति के अनुसार नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है. दशहरा पर्व पर इस पक्षी के दर्शन को शुभ और भाग्य को जगाने वाला माना जाता है. जिसके चलते दशहरे के दिन हर व्यक्ति इसी आस में छत पर जाकर आकाश को निहारता है कि उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाएँ. ताकि साल भर उनके यहाँ शुभ कार्य का सिलसिला चलता रहे.
ऐसा माना जाता है कि इस दिन नीलकंठ के दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है, तथा फलदायी एवं शुभ कार्य घर में अनवरत्‌ होते रहते हैं. सुबह से लेकर शाम तक किसी वक्त नीलकंठ दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है.
       भगवान शिव को भी नीलकंठ कहा गया है क्योकिं उन्होंने सर्वकल्याण के लिए विषपान किया था. इसीलिए शिव कल्याण के प्रतीक है. ठीक उसी तरह नीलकंठ पक्षी भी है. इस पक्षी का भी कंठ (गला) नीला होता है. कहते हैं कि दशहरे के दिन जो भी कुंवारी लडकी नीलकंठ के दर्शन करती है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है.
      उत्तरभारत में बहलिए नीलकंठ को घर-घर में लाकर दिखाते हैं. आज भी देश के कई हिस्सों में दशहरे के दिन लोग सुबह से उठकर नीलकंठ के दर्शन करते हैं. नीलकंठ को किसान का मित्र भी कहा गया है. वैज्ञानिकों के अनुसार यह किसानों का मित्र भी है, क्योंकि सही मायने में नीलकंठ किसानों के भाग्य का रखवारा भी होता है, जो खेतों में कीड़ों को खाकर किसानों की फसलों की रखवारी करता है.

(आलेख साभार: पर्दाफाश टुडे, फोटो: मधेपुरा टाइम्स के कैमरे से आज ली गई)

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