मधेपुरा में सांसद समर्थकों ने सहरसा के भ्रष्ट चिकित्सकों का पुतला फूंका

सांसद पप्पू यादव के द्वारा डॉक्टरों की फीस घटाने की मांग को सहरसा के डॉक्टरों द्वारा खारीज कर देने तथा सांसद के खिलाफ सहरसा के डॉक्टरों तथा कुछ जनप्रतिनिधियों के सड़कों पर उतरने के खिलाफ मधेपुरा में आज राजद तथा कॉंग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सहरसा के भ्रष्ट डॉक्टरों का पुतला फूंका.
      सांसद के समर्थन में मधेपुरा की सड़कों पर उतरे कार्यकर्ताओं ने सहरसा के भ्रष्ट चिकित्सकों का पहले अर्थी जुलूस निकाला और शहर के बी० पी० मंडल चौक पर पुतला दहन भी किया.
      पुतला दहन करने वालों का कहना था भ्रष्ट और फर्जी चिकित्सकों की वजह से इलाके में गरीबों की लगातार मौतें हो रही हैं. चिकत्सकों की मनमानी को रोकने के लिए हम लोग मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव के नेतृत्व में आंदोलन कर रहे हैं. साथ ही इन भ्रष्ट चिकित्सकों को संरक्षण देने वाले भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भी हम सड़क पर उतरेंगे. आंदोलनकारियों का ये भी कहना था कि गरीब जनता का लगातार शोषण करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ सांसद ने लोगों को जगाने का काम किया है. समर्थकों ने कहा कि जो कई डॉक्टर जो कल तक सड़क पर थे आज अरबपति-खरबपति हो गए हैं. इनके खिलाफ हम चरणबद्ध आंदोलन करेंगे. सहरसा के कुछ नेता जो डॉक्टर की दलाली कर उनका पैसा खाते हैं वे लोग पप्पू यादव पर आरोप लगा रहे हैं. ऐसे नेताओं के मुंह पर हमलोग कालिख पोतने का काम करेंगे.
      सांसद के समर्थन में फर्जी डॉक्टरों का पुतला फूंकने वालों में मुख्य रूप से श्वेत कमल उर्फ बौआ, रविन्द्र यादव, राजद के परवेश यादव, बैजनाथ पासवान, युवा राजद के जिलाध्यक्ष मो० अलाउद्दीन, टुनटुन साह, मो० जमशेद ईमाम, भानुप्रताप, मो० अशफाक, विकास कुमार, जयकांत यादव, अजिर बिहारी, चन्द्र वंश यादव, डा० राजेश रतन, संत कुमार, मनोज यादव, प्रिंस गौतम, देवाशीष पासवान, दीपक कुमार, पिंटू यादव, प्रेम शंकर, बाबू साहेब आदि भी मौजूद थे.
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मधेपुरा में सांसद समर्थकों ने सहरसा के भ्रष्ट चिकित्सकों का पुतला फूंका मधेपुरा में सांसद समर्थकों ने सहरसा के भ्रष्ट चिकित्सकों का पुतला फूंका Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 17, 2014 Rating: 5

1 comment:

  1. आप हमारे सांसद हो इसका मुझे गर्व हैं. परन्तु क्या आपके आदेश को सरकारी अस्पताल के कर्मचारी मान रहे हैं नही.तो ये प्राइवेट डॉक्टर क्यों माने.अगर इन सब सुविधा को सरकारी अस्पताल में सुचारू रूप से चालू किया जाए तो लोगों को प्राइवेट या निजी क्लीनिकों में जाने कि शायद आवयश्कता नहीं होगी.एक सरकारी डॉक्टर से लोग सरकारी अस्पताल में अपना इलाज नहीं करवाते हैं.वही दूसरी और अगर वही डॉक्टर रोड पर या किसी निजी क्लिनिक पर बैठ जाए तो मरीजों कि एक भीड़ जमा हो जाती हैं. आखिर इसका क्या कारण हैं क्या आपने ये जानना चाहा ...कभी नहीं.

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