बी० पी० मंडल सामाजिक न्याय के प्रकाश पुंज थे.
उन्होंने छोटे-बड़े का फर्क कभी नहीं माना. इसके लिए उन्होंने 1 वर्ष 8 महीना 22
दिनों तक कश्मीर से कन्याकुमारी, राजस्थान के मरूस्थल से बंगाल तक का लगातार दौरा
किया. इस क्रम में उन्होंने सभी धर्मों और जातियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक
रूप से पिछड़े 3743 जातियों के लोगों के लिए आरक्षण की अनुशंसा की.
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दिसंबर 1980 को उन्होंने उस रिपोर्ट को इंदिरा गांधी सरकार को सौंप दिया, जो आज
मंडल कमीशन के नाम से जाना जाता है.
बी० पी० मंडल का जन्म
25 अगस्त 1918 को हुआ था. इनके पिता रासबिहारी मंडल और माता का नाम सीतावती मंडल
है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा मधेपुरा में ही हुई तथा उन्होंने मैट्रिक, राज हाई
स्कूल दरभंगा से तथा बीए ऑनर्स पटना कॉलेज से की. बी० पी० मंडल का पूरा नाम
बिन्ध्येश्वरी प्रसाद मंडल है. वे वर्ष 1945 से 1951 तक ऑनरेरी मजिस्ट्रेट रहे.
1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में उन्होंने भूपेंद्र बाबू को हराकर विधायक का
पद हासिल किया. इसके बाद 1962, 1967, 1972 में वे विधायक बने तथा 1967 व 1977 का
लोक सभा चुनाव उन्होंने जीता. सन 1968 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य हुए. इसी
दौरान वे 01 फरवरी से 18 मार्च 1968 तक कुल 47 दिन बिहार के मुख्यमंत्री बने रहे.
पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने इन्हें 01 जनवरी 1979 को पिछड़ा वर्ग आयोग का
अध्यक्ष बनाया. उनका निधन 13 अप्रैल 1982 को हो गया.
आज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तथा मंडल आयोग के प्रणेता
बी० पी० मंडल की 96वीं जयंती उनकी जन्मभूमि मुरहो में मनाई जा रही है.
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मंडल: एक युग-पुरुष की जीवन गाथा
प्र प्रस्तुति: चन्दन
कुमार (शिक्षक)
उ उत्क्रमित
उच्च विद्यालय,
चिकनोटवा,
घैलाढ़, मधेपुरा
सामजिक न्याय के प्रकाश पुंज थे बी० पी० मंडल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 25, 2014
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