|नि० सं०|28 जुलाई 2014|
गत 22 जुलाई को बिहारीगंज थाना के गोरपार गाँव में
एक घटना की रिपोर्टिंग के दौरान अपराधियों के हमले का शिकार बने एक स्थानीय
पत्रकार दिलीप कुमार दीप के मामले में पुलिस की सुस्ती कुछ और ही कहती है.
मिली
जानकारी के अनुसार घटना के दिन गोरपार गाँव में गंगानंद सिंह तथा उनके लोगों के
साथ मो० इलियास अपने सहयोगियों के साथ मारपीट की घटना को अंजाम दे रहा था. एक
स्थानीय दैनिक अखबार के संवाददाता दिलीप कुमार दीप समाचार संकलन के लिए जैसे ही घटनास्थल
पर जाकर अपने कैमरे से फोटोग्राफी करनी चाही तो दर्जनों संगीन मामलों के आरोपी मो०
इलियास ने रायफल के बट से दिलीप के सर पर प्रहार किया और उसके एक सहयोगी मो आदिल
ने लोहे के रॉड से दिलीप का हाथ तोड़ दिया. बुरी तरह घायल दिलीप आज पूर्णियां से
इलाज कराकर भले ही घर पर हों, पर उस घटना के बाद पुलिस की भूमिका को याद कर दिलीप
आक्रोशित हो जाते हैं.
शर्मनाक रही बिहारीगंज पुलिस की भूमिका: घटना किसी पत्रकार पर
जानलेवा हमले का था. घायल दिलीप की हालत को देखकर भी बिहारीगंज थाना एफआईआर दर्ज
करने में आनाकानी करती रही. बाद में कई पत्रकारों को आक्रोशित देखकर घटना के दो
दिनों के बाद हत्या के प्रयास का मामला तो दर्ज कर लिया गया, पर अभी तक इस शर्मनाक
घटना को अंजाम देकर सारे अपराधी छुट्टा घूम रहे हैं.
हम अपने
पाठकों को ये बता दें कि ये वही बिहारीगंज थाना है जिसके क्षेत्र में दो लड़कों के
सर को पंचायत ने मुंड कर कालिख-चूना लगाकर गाँव घुमाया था. थानाध्यक्ष ने पहले तो
घटना को नकारा था और बाद में सबूत न होने का भी बहाना किया था. हम पाठकों को ये भी
बता दें कि मधेपुरा टाइम्स ने घटना का पूरा वीडियो भी बिहारीगंज थानाध्यक्ष को
उपलब्ध करा दिया था. पर इनदिनों पुलिस एक्शन लेने से ज्यादा डील करने में भरोसा
रखती है. अब देखें इस पत्रकार पर हमले के मामले में बिहारीगंज पुलिस कुछ करती है
या फिर अपने नपुंसक होने का सबूत दे डालती है.
पत्रकार पर जानलेवा हमला मामले में पुलिस की सुस्ती शर्मनाक
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 28, 2014
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