13 साल की नाबालिग लड़की को फुसलाकर भगाया तो दूसरे मामले में लड़की के अपहरण का आरोप: पुलिस का असहयोगात्मक रवैया
|मुरारी कुमार सिंह|23 मई 2014|
चुनाव के बाद जिले में प्रेम-प्रसंग के मामलों में
अचानक फिर से तेजी आ गई लगती है. इश्क और चरित्रहीनता का नशा ऐसा कि युवक यह भी
देखते कि लड़की बालिग़ है या नाबालिग. 
      मधेपुरा
जिले के श्रीनगर थाना के रामनगर महेश की रहनेवाली एक 13 वर्षीय नाबालिग लड़की को
गाँव के ही दो युवकों ने बहला-फुसला लिया. लड़की घर से गायब हुई तो पिता को जानकारी
मिली कि उसे संजय राम और राजेन्द्र राम ने भगा लिया है. मामला लड़की के पिता ने
पुलिस में दर्ज करा दिया है.
      पिता ने
यह भी आशंका व्यक्त की है कि उनकी लड़की के साथ दबंग प्रवृत्ति के संजय राम ने शादी
का प्रलोभन देकर उनकी नाबालिग लड़की के साथ गलत काम भी किया होगा.
      एक
दूसरे मामले में उदाकिशुनगंज थाना के मधुबन के सोनू सिंह और मोनू सिंह और कटिहार
के एक लड़के मुकेश मंडल पर कटिहार की ही एक लड़की के अपहरण का मामला दर्ज हुआ है.
पुलिस का रवैया अक्सर होता है
ढीला:
लड़की का अपहरण हो या उसे भगा लेने का मामला, पुलिस ऐसे मामले को प्रेम-प्रसंग
मानकर अक्सर जल्द कोई एक्शन नहीं लेना चाहती है. जबकि दोनों ही मामलों में लड़की कि
बरामदगी जरूरी है ताकि प्रेम-प्रसंग के भ्रम में कहीं मामला अपहरण और बलात्कार का
न निकल जाय. साथ ही सही कानूनी प्रक्रिया के तहत भी लड़की की बरामदगी अत्यन्त
आवश्यक है, खासकर जब लड़की नाबालिग हो. क्योंकि नाबालिग के मामले में फुसलाकर ले
जाना अपहरण के बराबर है और आपसी सहमति से सेक्स भी बलात्कार ही माना जाता है.
      बालिगों
के मामले में भी यदि परिजनों के द्वारा लड़की के अपहरण का मामला दर्ज कराया गया हो
तो लड़की को बरामद कर न्यायालय में उसका 164 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत बयान दर्ज
करवाकर ही निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए.
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