|मुरारी कुमार सिंह|25 मार्च 2014|
कहते हैं जिंदगी और मौत की न तो कोई जात है और न ही कोई धर्म. धरती पर लोगों ने मनुष्य को जात-धर्म-सम्प्रदाय में बाँट डाला और कईयों ने आपस में नफरत की बीजें बोनी शुरू कर दी ताकि वे स्वार्थ की फसल काट सकें. उपरवाला एक ही है चाहे उसे ईश्वर, अल्लाह, जीसस जो भी नाम दें.
कहते हैं जिंदगी और मौत की न तो कोई जात है और न ही कोई धर्म. धरती पर लोगों ने मनुष्य को जात-धर्म-सम्प्रदाय में बाँट डाला और कईयों ने आपस में नफरत की बीजें बोनी शुरू कर दी ताकि वे स्वार्थ की फसल काट सकें. उपरवाला एक ही है चाहे उसे ईश्वर, अल्लाह, जीसस जो भी नाम दें.
आज सुबह जिला मुख्यालय के बस स्टैंड के पास हनुमान
मंदिर पर एक रोगी की लाश मिलने से सनसनी फ़ैल गई. लाश के पास से डॉक्टरी पुर्जा
मिला है जिससे प्रतीत होता है कि लाश भगवानपुर, सुपौल के इमामुल हक की है और वह
बीमार था.
मिले
प्रेस्क्रिप्शन से पता चलता है कि इमामुल का इलाज पूर्णियां के एसपी सिंह से चल
रहा था और पिछले 23 मार्च मरीज डॉक्टर के पास गया था.
मृतक की
उम्र करीब 30 वर्ष के आसपास बताई जाती है और उसके पास पड़े झोले में दवाइयों की
बोतल थी. मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता शौकत अली भी पहुंचे और लाश को कपड़े से ढंका.
पुलिस को इसकी सूचना दे दी गई
है.
मौत होती है धर्मनिरपेक्ष: मंदिर पर इमामुल ने दम तोड़ा...
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 25, 2014
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