|वि० सं०|12 अक्टूबर 2013|
जनाब ‘हाइबरनेशन’ से फिर बाहर है. समाज सेवा की बातें टर्र-टर्र कर रहे है.
दूसरे माध्यम से कमाए गए रूपयों में से लाखों खर्च करने के तैयार है. जी हाँ, ये
चुनाव का मौसम है और इसमें वायदों की बारिश होती है, और इस बारिश में ये नेता
बरसाती मेढकों की तरह बाहर आ जाते हैं.

पर नेता
जी को ये बात पता नहीं है कि लोग इनपर हंस रहे हैं और इनका मजाक उड़ाते हैं क्योंकि
ये पब्लिक है सब जानती है. पर वैसे वोटर जिन्हें खाने के लाले पड़े हैं वो तो पांच
सौ हजार लेकर इन्हें वोट दे ही सकते हैं क्योंकि वे गरीब जरूर हैं, पर उनकी जमीर
नहीं मरी है, ऐसे नेताओं की तरह.
बरसाती मेढकों की तरह टर्र-टर्र करते ये नेता
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 12, 2013
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