पटना / 29 अक्टू.
हिन्दी के प्रमुख कथाकार एवं संपादक
राजेन्द्र यादव के निधन से मर्माहत बिहार प्रगतिशील लेखक संघ ने इसे साहित्य
में एक युग का अंत कहा है। बिहार प्रलेस के महासचिव राजेन्द्र राजन ने कहा
कि मोहन राकेश, कमलेश्वर और राजेन्द्र यादव
के त्रयी ने साहित्य में एक नई धारा की शुरुआत की थी। राजेन्द्र यादव के गुजर जाने के बाद इस
अध्याय का अंत हो गया। ’हंस’
पत्रिका का पुनर्प्रकाशन करके
इन्होंने स्त्री और दलित विमर्श को चर्चा का विषय बनाया। अनेक नये लेखकों को हिंदी
साहित्य से जोड़ा।
बिहार प्रलेस के अध्यक्ष डा. ब्रजकुमार पाण्डेय ने अपनी शोक संवेदना में श्री यादव के साहित्यिक
अवदानों की चर्चा करते हुए कहा कि वे अंधविश्वास, जातीयता और साम्प्रदायिकता के मुद्धे पर प्रगतिशील
दृष्टिकोण अपना कर अनवरत संघर्ष करते रहे। कवि शहंशाह आलम ने कहा कि राजेन्द्र यादव ने अपना लेखन
उसूलो पर किया.. उनकी अनुपस्थिति से जो रिक्तता आयी है उसकी भरपायी असंभव है।
बिहार प्रलेस की विभिन्न जिला
इकाईयों ने भी अपनी शोक संवेदना व्यक्त की है।
- अरविन्द श्रीवास्तव / मीडिया प्रभारी सह प्रवक्ता
बिहार प्रगतिशील लेखक संघ
मोबाइल- 9431080862.
बिहार प्रलेस के अध्यक्ष डा. ब्रजकुमार पाण्डेय ने अपनी शोक संवेदना में श्री यादव के साहित्यिक

- अरविन्द श्रीवास्तव / मीडिया प्रभारी सह प्रवक्ता
बिहार प्रगतिशील लेखक संघ
मोबाइल- 9431080862.
राजेन्द्र यादव के निधन से मर्माहत बिहार प्रलेस
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 29, 2013
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