कौन है ये महिला ? पागल या खतरे की घंटी ?

 |राजीव रंजन| 04 सितम्बर 2013|
करीब एक महीने पहले मधेपुरा आई इस महिला को कोई नहीं जानता. सिविल कोर्ट के पास न्यायिक पदाधिकारियों की कॉलोनी से सामने मुख्य सड़क से लेकर समाहरणालय तक रोज ही चक्कर कटती इस महिला को लोग विक्षिप्त कहते हैं. ना इसके रहने का कोई स्थायी ठिकाना है और न ही इसके खाने-पीने का. आसपास के किसी दुकानदार ने कुछ दे दिया तो खा ली. खाली हाथ नजर आती है ये पर इसके कपड़े कभी-कभी बदल जाते हैं. पूछने पर कुछ नहीं बोलती और कभी बोलती भी है तो किसी को कुछ समझ में नहीं आता.
      कोर्ट कैम्पस में तो कम पर अब समाहरणालय परिसर में भी घूमती रहती है. लोग इसके बारे में तरह-तरह की बातें करते हैं. स्थानीय कुछ लोगों का अंदाजा है कि इसके साथ कभी कुछ गलत भी हो सकता है.
      ऐसा नहीं है कि एक महीने में प्रशासन या पुलिस की नजर इसपर नहीं पड़ी हो. इस अज्ञात महिला को जांच के बाद अल्पावास गृह भेजा जा सकता है और इसके घर का पता भी लगवाया जा सकता है.
      वैसे भी मधेपुरा में जिस तरह संदिग्ध आतंकवादी की भी उपस्थिति दर्ज की जा चुकी है ऐसे में यहाँ लगातार रह रहे एक-एक नए चेहरे पर नजर रखने की जरूरत है.
कौन है ये महिला ? पागल या खतरे की घंटी ? कौन है ये महिला ? पागल या खतरे की घंटी ? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 04, 2013 Rating: 5

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